नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने उपभोक्ता आयोगों के ढांचागत आधार के लिए आवंटित राशि के उपयोग के नोडल अधिकारी की नियुक्ति में विलंब होने पर बुधवार को राज्यों एवं केंद्रशासित क्षेत्रों को फटकार लगाई।
न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि उसके आदेश का पालन नहीं करने वाले राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को इसका नतीजा भुगतना होगा। पीठ ने आदेश अनुपालन का हलफनामा नहीं देने वाले राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों पर एक लाख रुपये का दंड भी लगाया है।
पीठ ने कहा कि उपभोक्ता आयोगों के लिए आवंटित राशि के इस्तेमाल के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने में विलंब करने वाले राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश हालात की गंभीरता नहीं समझ रहे हैं।
पीठ ने कहा, “एक बार फिर राज्यों ने ऐसा किया है। गत एक दिसंबर 2021 को जारी अपने आदेश में हमने समयसीमा का स्पष्ट उल्लेख किया था लेकिन उन्होंने इसका ध्यान नहीं रखा। हमें कुछ ऐसा करना होगा कि उन्हें बात समझ में आ जाए। आपको समझाने के लिए हमें निष्ठुर बनना होगा।”
इस मामले में न्याय-मित्र नियुक्त किए गए अधिवक्ता आदित्य नारायण ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि अभी तक 22 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों ने अनुपालन रिपोर्ट जमा कर दी है और 12 राज्यों के सिवाय सभी ने नोडल अधिकारी की नियुक्ति कर दी है।
इस पर पीठ ने संबंधित राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को आदेश के अनुपालन के लिए चार हफ्ते का वक्त देते हुए कहा कि ऐसा करने में नाकाम रहने पर संबंधित सचिवों को मौजूद होना होगा। मामले की अगली सुनवाई के लिए 12 अप्रैल, 2022 की तारीख मुकर्रर की गई।
उच्चतम न्यायालय ने एक दिसंबर 2021 के अपने आदेश में महाराष्ट्र को छोड़कर सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को जिला एवं राज्य स्तरीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोगों में रिक्त पड़े पदों को जनवरी 2022 तक भरने को कहा था।