देहरादून । उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में गर्मी शुरू होने के बाद वनाग्नि की घटनाएं तेजी से बढ़ रही है। पहाड़ों में कई जगह  के वन धू-धू कर जल रहे हैं, जिससे वन संपदा को भारी नुकसान हो रहा है। 15 फरवरी से 15 जून तक का फायर सीजन प्रदेश के जंगलों के लिए बेहद संवेदनशील होता है।
बीते दिनों सीजन की सबसे ज्यादा आग लगने की घटनाएं रिकॉर्ड की गई हैं। प्रदेश में पिछले 24 घंटे के भीतर 52 जगह पर आग लगी। इसमें 14 घटनाएं गढ़वाल मंडल में हुई तो वहीं 35 घटनाएं कुमाऊं मंडल के जंगलों के रिकॉर्ड हुई। 24 घंटे के दौरान कुल 76.65 हेक्टेयर जंगल आग से प्रभावित हुए। जिसमें 1 लाख 65 हजार 300 रुपए की आर्थिक क्षति रिकॉर्ड की गई है।
प्रदेश में 1 नवंबर से अब तक आग लगने की कुल 431 घटनाएं रिकॉर्ड की जा चुकी हैं। इसमें गढ़वाल मंडल वाले वन क्षेत्र में 177 घटनाएं हुई हैं। कुमाऊं मंडल के जंगलों में 215 घटनाएं रिकॉर्ड की गई हैं। वन्य जीव संरक्षित वन क्षेत्र में 39 जगह पर आग लगने की शिकायतें मिली हैं।
इस तरह करीब 5 महीने से ज्यादा समय में राज्य के 516.92 हेक्टेयर जंगल आग से प्रभावित हुए, जिसमें अब तक राज्य को 11 लाख 13 हजार 451 रुपए का नुकसान होने का आंकलन किया गया है। हालांकि इन घटनाओं में किसी तरह की पशु या मानव क्षति नहीं हुई है। वन विभाग का दावा है कि वे जल्द ही घटनाओं पर कमी लांएगे। इस बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह​ धामी भी वन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर आग की घटनाओं पर लगाम लगाने को लेकर सख्ती बरत चुके हैं।