नई दिल्ली (हि.स.)। अयोध्या मामले को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में 17वें दिन की सुनवाई पूरी हो गई। मुस्लिम पक्षकार की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने बहस की और कल भी उनकी ओर से बहस जारी रहेगी। इस बीच राजीव धवन को मिली धमकी के बाद वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अवमानना याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की। उसके बाद कोर्ट ने राजीव धवन की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 3 सितंबर को सुनवाई करने का आदेश दिया है।
धवन ने बुधवार को खुद की तैयारी के लिए लिए ब्रेक की मांग की। उन्होंने कहा कि उनके लिए लगातार दलीलें देना मुश्किल होगा। इस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि आप चाहें तो शुक्रवार को ब्रेक ले सकते हैं। इसके बाद अयोध्या मामले पर बहस करते हुए धवन ने कहा कि मुकदमा कानून से चलेगा। वेद और स्कंद पुराण के आधार पर नहीं। लोगों का उस स्थान की परिक्रमा करना धार्मिक विश्वास को दिखाता है। ये कोई सबूत नहीं है। उन्होंने कहा कि 1858 से पहले के गजेटियर का हवाला गलत है। अंग्रेजों ने लोगों से जो सुना, लिख दिया। उनका मकसद महज ब्रिटिश लोगों को जानकारी देना भर था।
धवन ने कहा कि मोर, कमल जैसे चिह्न का मिलना यह साबित नहीं करता कि वहां मंदिर था । कहा जा रहा है कि विदेशी यात्रियों ने मस्ज़िद का ज़िक्र तक नहीं किया, लेकिन मार्को पोलो ने भी तो चीन की महान दीवार के बारे में नहीं लिखा था। मामला कानून का है। कोर्ट ने धवन से कहा कि आपने भी हाईकोर्ट में ऐतिहासिक तथ्य रखे थे । राजीव धवन ने कहा कि बाबर के विदेशी हमलावर होने पर वह कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते। लेकिन यह साबित करने के लिए जिरह करूंगा कि वहां मस्जिद थी।
राजीव धवन ने कहा कि 1939 में एक मस्जिद तोड़ी गई। 1949 में एक मूर्ति को रखा गया। 1992 में मस्जिद को ध्वस्त किया गया। धवन ने वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी की उक्ति का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसी स्थिति के लिए वे कहा करते थे कि आप अपने माता-पिता को मार डालो और बाद में कोर्ट में उपस्थि होकर कहो कि हम अनाथ हैं। उन्होंने कहा कि किस कानून के तहत निर्मोही अखाड़ा के अधिकारों को संरक्षित किया जा सकता है।
राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट में दो लोगों के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की है। एक 88 साल के बुजुर्ग प्रोफेसर षणमुगम हैं, जिन्होंने उन्हें चिट्ठी लिख कर श्राप दिया है। दूसरे कोई संजय कलाल हैं जिन्होंने व्हाट्सऐप भेजा है कि आपके मरने पर राम नाम सत्य ही कहा जाएगा।
याचिका में यह भी लिखा है कि अवमानना याचिका दाखिल करने के लिए अटार्नी जनरल की ज़रूरी मंजूरी नहीं ली, क्योंकि अटार्नी जनरल वेणुगोपाल कभी अयोध्या केस में यूपी सरकार के वकील रह चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि 88 साल के वृद्ध ने धवन को लिखा है कि आप भगवान के काम में बाधा डाल रहे हैं। मैं श्राप देता हूं कि आपकी जीभ बोलना बंद कर दे।आपके पैर काम करना बंद कर दें, आपको दिखना बंद हो जाए और आपके कान सुनना बंद कर दें। धवन का कहना है कि ऐसा कह कर उन्होंने कोर्ट के काम में बाधा डाली है।
हिन्दुस्थान समाचार