हैका कि देखी लाईं पैरीं अपणी देखी नांगी
म्यरा बुबा की मति मरे मैंकु स्ये नि मांगी।
गणेश गोदियाल के रूप में कांग्रेस ने मजबूत और लोकप्रिय प्रदेश अध्यक्ष क्या दिया कि भाजपा को अब मदन कौशिक में फीकापन झलकने लगा है। भाजपा भी गढ़वाल से मुखिया देना चाहती है, वह भी गणेश की तरह ब्राह्मण। इसके लिए उसके पास महेन्द्र भट्ट, ज्योति गैरोला, प्रकाश सुमन ध्यानी,विनोद चमोली, बृज भूषण गैरोला, सुनील उनियाल गामा जैसे लोग हैं।
बात गणेश गोदियाल की करें तो कांग्रेस ने यूं ही उनकी गणेश परिक्रमा नहीं की। उनके खाते में उनकी साधारण,गरीब और कष्टसाध्य परिश्रम की पृष्ठभूमि से आच्छादित ईमाननिष्ठ जीवनधारा है। स्वच्छ छवि और अकुलिषत विचारों के गणेश उस राठ क्षेत्र में जन्मे,पले,पढे़ और बढे़ हैं,जहाँ की विकट परिस्थितियां और पिछडा़पन एक समय में लोकगीतों का विषय तक रहा।
गाय पालने से लेकर मुंबई की सड़कों पर फल एवं सब्जी तक बेचने के कारोबार से उन्होंने कामयाबी के झंडे गाड़ अपनी आर्थिकी दुरुस्त की। उनका कष्ट अभावग्रस्त हर पहाडी़ युवक की विवशता का आईना रहा।
राठ क्षेत्र के युवाओं की घर में ही उच्च शिक्षा हासिल करने की हसरत पूरी करने के लिए उन्होंने पैठाणी में महाविद्यालय खुलवाया तो उनकी लोकप्रियता का ग्राफ फर्श से अर्श पर चला गया। कांग्रेस ने इसी लोकप्रियता को भुनाते हुए उन्हें 2002 में टिकट दिया और वे जीत गए। फिर वे 2012 में जीते। बताते हैं कि उन्होंने 2016 के राजनीतिक उथल-पुथल में मजबूती से कांग्रेस के पक्ष में खडे़ रहकर उसका साथ दिया। वे शहरी नेताओं की तरह सुविधाभोगी नहीं रहे,बल्कि ठेठ पहाडी़ बटोही की तरह समस्याओं को आत्मसात करने धार-खाल नापने में लगे रहे। उनका पहाडी़पन और पहाडी़ ब्राह्मणपन कांग्रेस को बहुत रास आया और उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद पर आसीन कर दिया। हालांकि हरीश रावत खेमा इसे अपनी उपलब्धि मान ले,लेकिन कांग्रेस के पास इसके अलावा विकल्प भी नहीं था।
वहीं,भाजपा को लगने लगा है कि वह अध्यक्ष के मामले में पिछड़ गयी है। ‘स्वोरा की हींस अर भैंसा की तीस’ की कहावत को चरितार्थ करते हुए वह ऐसे चेहरे की तलाश में है,जो पहाड़ का दूसरा गणेश साबित हो। वह सीधा भी हो, ब्राह्मण भी हो, गढ़वाली भी हो, ईमानदार भी हो और लोकप्रिय भी हो। वह अभी चार-पांच बिना चोटी के चोटी वालों की नुमाइश कर चुकी है, लेकिन इनमें एक पर ही ज्यूंदाळ पड़ने हैं। ज्योति गैरोला चाणक्य चाल वाले समझे जाते हैं तो गामा पर त्रिवेंद्र का वरदहस्त माना जाता है। प्रकाश सुमन बौद्धिकता के मामले में अग्रगण्य हैं। अब चुनाव आने वाले हैं,इसलिए भाजपा को लगा होगा कि मदन कौशिक को हटा पहाडी़ चेहरे को अध्यक्ष पद पर आसीन किया जाए, ताकि कांग्रेस की बराबरी की जाए। वैसे भी मुख्यमंत्री कुमाउंनी ठाकुर हैं तो गढ़वाल के लोगों और बामणों को कथित तौर पर नाराज करना भाजपा के हित में नहीं था।