20 Oct 2025, Mon

भारत के नेतृत्व में आतंकवाद से मुक्त हो सकता है विश्व : इंद्रेश कुमार

नई दिल्ली (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार ने सोमवार को कहा कि भारत के नेतृत्व में विश्व आतंकवाद से मुक्त हो सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों से आतंकवाद के खिलाफ विश्व को एकजुट होने का संदेश देते रहे हैं। उन्होंने ह्यूस्टन में हुई रैली में भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदगी में दुनिया को यही संदेश दिया।

इंद्रेश कुमार ने इंडो इजराइल फ्रेंडशिप फोरम और फोरम फॉर अवेयरनेस ऑन नेशनल सिक्योरिटी (एफएएनएस) द्वारा संयुक्त रूप से हाइफा विजय दिवस के मौके पर यहां तीन मूर्ति हाइफा चौक पर आयोजित कार्यक्रम में 1918 में इजराइल के शहर हाइफा को आजादी दिलाने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले बहादुर भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी।

इस मौके पर इंद्रेश ने कहा कि नफरत व अलगाव फैलाने वाली ताकतों ने अब तक कश्मीर का बहुत नकुसान किया है। अब जब राज्य से अनुच्छेद-370 व 35ए हट चुका है तो सरकार के सहयोग से कश्मीर एक बार फिर धरती का स्वर्ग बनेगा। ऐसे में अब तक अलगाव की राजनीति करने वालों को भी राज्य के चौमुखी विकास में योगदान देना चाहिए। उन्होंने तीन मूर्ति हाइफा चौक को भारत इजराइल मित्रता के अमर स्थल के रूप में विकसित करने की अपील करते हुए कहा कि दोनों देशों के दूतावासों को इस कार्य में सहयोगी बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इजराइल की स्वतंत्रता की गाथा को मूर्त रूप देने वाले इस स्थल के प्रति प्रत्येक इजराइलवासी के मन में दर्शन की उत्सुकता जगनी चाहिए।

इंद्रेश कुमार ने कहा कि भारतीय युवा सेना में केवल नौकरी नहीं बल्कि मातृभूमि पर सब कुछ निछावर करने का भाव लेकर भर्ती होता है। इसी भावना से हमारे बहादुर सिपाहियों ने हाइफा की मुक्ति के लिए भालों, बरछों और तलवारों से तोपों और बंदूकों का सामना किया औऱ 44 घंटे के अंदर हाइफा को ऑटोमन साम्राज्य के चंगुल से आजाद कराया था।

भारत में इजराइल के राजदूत डॉ रॉन मलका ने कहा, नरेन्द्र मोदी पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने इजराइल का दौरा किया और भारत-इजराइल संबंधों को और मजबूती दी। उन्होंने कहा कि जनवरी 2018 में इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की भारत दौरे के दौरान तीन मूर्ति चौक का नाम बदलकर तीनमूर्ति हाइफा चौक रखा गया जो हाइफा की शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि है। रॉन ने कहा कि इन शहीदों की शौर्य गाथा इजराइल के स्कूलों में सिलेबस का हिस्सा है।

मलका ने कहा कि हाइफा के युद्ध में शहीद भारतीय सैनिकों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने पर स्वयं को सम्मानित महसूस कर रहा हूं। यह मेरा सौभाग्य है कि उसी शहर में मेरा जन्म हुआ था। उनकी स्मृतियां हमारी साझा विरासत हैं और आधुनिक युग में हमारे लोगों के बीच एक कड़ी है।

कार्यक्रम में भारत में इजरायली एम्बेसी की डिप्टी चीफ माया कोडाश, राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जसवीर सिंह, संघ के वरिष्ठ नेता रवि कुमार, इंडो-इजराइल फ्रेंडशिप फोरम के अध्यक्ष लेफ्टीनेंट जनरल आर एन सिंह समेत कई गणमान्य लोगों ने पुष्प अर्पित कर शहीदों को नमन किया।

उल्लेखनीय है कि 1918 में भारतीय सेना को इजराइल के फिलिस्तीन से सटे हाइफा शहर को तुर्की सेना के कब्जे से मुक्त कराने का जिम्मा मिला था। उस समय भारत की 15 इंपीरियल ब्रिगेड में जोधपुर, मैसूर और हैदराबाद की सेना शामिल थी। उन्होंने इस युद्ध को बरछी, भालों और तलवारों के दम पर ही बंदूकों और अन्य अत्याधुनिक हथियारों से लैस तुर्की सेना को परास्त किया हालांकि इस लडाई में भारतीय सेना के 900 सिपाही शहीद हो गए थे। हाइफा के शहीदों की याद में दिल्ली के तीनमूर्ति चौक का नाम पिछले साल 14 जनवरी को तीनमूर्ति हाइफा चौक रखा गया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *