नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा और कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जहां ‘‘राष्ट्र भक्ति’’ को समर्पित है वहीं विरोधी दलों का समर्पण ‘‘परिवार भक्ति’’ के प्रति है। परिवारवादी पार्टियों को लोकतंत्र का दुश्मन करार देते हुए मोदी ने यह भी कहा कि ऐसे दल संविधान और संवैधानिक संस्थाओं को कुछ नहीं समझते, उन्होंने देश की प्रतिभा तथा युवा शक्ति को कभी आगे नहीं बढ़ने दिया बल्कि हमेशा उनके साथ ‘‘विश्वासघात’’ किया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 42वें स्थापना दिवस के मौके पर वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मोदी ने यह बात कही।
इस अवसर पर उन्होंने यह भी कहा कि आज दुनिया के सामने एक ऐसा भारत है जो बिना किसी डर या दबाव के, अपने हितों के लिए अडिग रहता है और जब पूरी दुनिया दो विरोधी ध्रुवों में बंटी हो तब भारत को ऐसे देश के रूप में देखा जा रहा है जो दृढ़ता के साथ मानवता की बात कर सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘हम राष्ट्र नीति से राजनीति को अलग करके चलने वाले लोग नहीं हैं। हमारे लिए राजनीति और राष्ट्र नीति साथ साथ चलती हैं। लेकिन यह भी सच्चाई है कि अभी भी देश में दो तरह की राजनीति चल रही है। एक राजनीति है परिवार भक्ति की और दूसरी है राष्ट्र भक्ति की।’’
मोदी ने कहा कि देश के अलग-अलग राज्यों में कुछ राजनीतिक दल हैं जो सिर्फ और सिर्फ अपने तथा अपने परिवार के हितों के लिए काम करते हैं और इन परिवारवादी पार्टियों के सदस्यों का स्थानीय निकायों से लेकर संसद तक में दबदबा रहता है। उन्होंने कहा, ‘‘ये लोग भले ही अलग-अलग राज्यों में हों लेकिन परिवारवाद के तार से जुड़े रहते हैं। एक दूसरे के भ्रष्टाचार को ढंक कर रखते हैं। बीते दशकों में इस वजह से देश का बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। इन परिवारवादी पार्टियों ने देश के युवाओं को कभी आगे नहीं बढ़ने दिया और हमेशा विश्वासघात किया।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि भाजपा ही इकलौती पार्टी है जो परिवारवाद की इस चुनौती से देश को सजग और सतर्क कर रही है। उन्होंने कहा कि पहली बार भाजपा ने ही इसके खिलाफ बोलना शुरु किया और इसे चुनावी मुद्दा भी बनाया। मोदी ने कहा, ‘‘मुझे संतोष है कि देश के युवा अब यह समझने लगे हैं कि किस तरह परिवारवादी पार्टियां लोकतंत्र की सबसे बड़ी दुश्मन हैं। लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ करने वाली ये पार्टियां संविधान और संवैधानिक व्यवस्थाओं को कुछ नहीं समझतीं।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसी पार्टियों से आज भी भाजपा कार्यकर्ता लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ लड़ रहे हैं और कई कार्यकर्ताओं को तो बलिदान तक देना पड़ा है।
उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा ऐसे राज्यों में लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना के लिए निरंतर संघर्ष करती रहेगी। यह यज्ञ तब तक चलेगा जब तक हम लोकतंत्र विरोधी ताकतों को परास्त नहीं कर देते।’’ मौजूदा वैश्विक परिस्थिति का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत को एक मजबूत देश के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सरकार राष्ट्रीय हितों को सर्वाेपरि रखते हुए काम कर रही है। आज देश के पास नीतियां भी हैं, नीयत भी है। आज देश के पास निर्णयशक्ति भी है और निश्चयशक्ति भी है।’’
उन्होंने कहा कि इसलिए आज देश जो लक्ष्य तय कर रहा है, उन्हें पूरा भी कर रहा है। विरोधी दलों पर दशकों तक वोटबैंक की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए मोदी ने कहा कि भाजपा ने न सिर्फ इसका मुकाबला किया है बल्कि इसके नुकसान से देशवासियों को वाकिफ करने में भी सफल रही है। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोगों से ही वायदे करो, ज्यादातर लोगों को तरसा कर रखो… यही उनकी नीति थी। भेदभाव और भ्रष्टाचार… ये सब वोटबैंक की राजनीति के दुष्प्रभाव थे।’’ प्रधानमंत्री ने दावा किया कि उनकी सरकार ने केंद्रीय योजनाओं में भेदभाव की सारी गुंजाइश की समाप्ति, तुष्टिकरण की आशंकाओं की समाप्ति, स्वार्थ के आधार पर लाभ पहुंचाने की प्रवृत्ति का खात्मा और समाज की आखिरी पंक्ति में खड़े आखिरी व्यक्ति तक सरकारी लाभ पहुंचना सुनिश्चित किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘यही तो है सबका साथ, सबका विकास। जब सरकारी मशीनरी का लक्ष्य शत प्रतिशत लाभार्थियों तक पहुंचने का हो, तब पक्षपात और भेदभाव टिक ही नहीं सकता। इसलिए हमारा यह सेवा भाव अभियान सामाजिक न्याय का बहुत बड़ा माध्यम है।’’ केंद्र सरकार की विभिन्न महत्वाकांक्षी योजनाओं का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी और कच्छ से कोहिमा तक भाजपा ‘‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’’ के संकल्प को निरंतर सशक्त कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘आज देश में ऐसी सरकार है जिसकी वैचारिक निष्ठा अंत्योदय में है। गरीबों, दलितों, पिछड़ों व महिलाओं के उत्थान के लिए काम करना हमारी पार्टी के मूल संस्कार हैं।’’ मोदी ने कहा कि भाजपा का स्थापना दिवस ऐसे समय पर आया है, जब पार्टी ने चार राज्यों में अपनी सत्ता बरकरार रखी और राज्यसभा में 100 सांसदों वाली, तीन दशकों में पहली पार्टी बनी। भाजपा की स्थापना 1980 में आज ही के दिन हुई थी। श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा 1951 में स्थापित भारतीय जन संघ से इस नई पार्टी का जन्म हुआ। वर्ष 1977 में आपातकाल की घोषणा के बाद जनसंघ तथा कई अन्य दलों का विलय हुआ और जनता पार्टी का उदय हुआ। जनता पार्टी ने 1977 के आम चुनाव में कांग्रेस से सत्ता छीनी थी और 1980 में जनता पार्टी को भंग कर भारतीय जनता पार्टी की नींव रखी गई थी