24 Aug 2025, Sun

संसदीय प्रक्रिया में एकरूपता और उसके सरलीकरण के प्रयास होने चाहिएः स्नेहलता 

देहरादून। लोकसभा की महासचिव स्नेहलता श्रीवास्तव ने कहा कि लोकसभा, राज्यसभा और राज्यों की विधानसभा व विधान परिषदें स्वयं में स्वायत्त संस्थाएं हैं। उनकी स्वायत्तता को कायम रखते हुए बदलते समय के साथ संसदीय प्रक्रिया में एकरूपता और उसके सरलीकरण के प्रयास होने चाहिए। अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन का यही उद्देश्य है। उनका कहना है कि यह बेहद यूनिक अवसर है, जहां सभी स्वतंत्र संस्थाएं होने के बावजूद एक साथ मिलकर विचार विमर्श करके एक मत पर काम कर सकते हैं और संसदीय प्रक्रिया का सरलीकरण कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 के बाद यह सम्मेलन देहरादून में हो रहा है। सम्मेलन में शिरकत करने पहुंची लोस महासचिव ने मीडिया कर्मियों से बातचीत में सम्मेलन की विशेषताओं और उद्देश्यों पर रोशनी डाली। उनके अनुसार, इस सम्मेलन में लोकसभा, राज्यसभा व विधानसभा के पीठासीन अधिकारी बैठकर विचार मंथन करते हैं। ये ऐसा मंच है जहां सभी बेस्ट प्रेक्ट्सिेज और अनुभवों का साझा किया जाता है और एक मत भी बनता है। क्योंकि सभी स्वायत्त संस्थाएं हैं, और इनके ऊपर कोई नहीं है। ऐसे सभी स्वायत्त संस्थाएं आपस में मिलकर एक-दूसरे से बात करके सीखते हैं और जो बेहतर होता है उसे लागू करके देश की प्रगति में योगदान देते हैं। संसद या सदन की कार्यवाही के लिए जो भी प्रक्रिया हैं, सम्मेलन के दौरान उन पर चर्चा होती है। मसलन, कई ऐसे मुद्दे हैं, जिनमें स्पीकर को पूरे अधिकार दिए हुए हैं।
उन अधिकारों का प्रयोग कैसे हो रहा है? विधानसभाएं कितने समय चल रही हैं? उनका संचालन किस तरह से होना चाहिए जिससे प्रजातंत्र को बढ़ावा मिले। सभी पार्टियों को अपना मत रखने का अवसर मिले। ये तमाम बिंदु हैं, जिन पर चर्चा हो सकती है। संसदीय प्रक्रिया लंबे समय से चली आ रही है। समय के साथ में इसमें कई बदलाव आए हैं। लोकसभा की महासचिव के अनुसार, संसदीय कामकाज में कागज का उपयोग कम हो रहा है। इलेक्ट्रानिक माध्यमों के इस्तेमाल पर जोर है। ऐसे प्रयास हैं कि जो भी प्रक्रिया व कार्यवाही है, वो वेबसाइट पर उपलब्ध हो। वो आम जनमानस तक आसानी से पहुंच सके। युवा पीढ़ी को भी इसकी जानकारी मिले।
उन्होंने कहा कि संस्थाओं को स्वायत्तता को कायम रखना जरूरी है। इसे किस तरह से कायम रख सकते हैं, उसके लिए प्रयास हर विधानसभा का रहता है। ऐसे मंच पर सब मिलकर एक मुद्दे पर पहुंचते हैं तो वह शक्ति हो जाती है। इस सम्मेलन की यह प्रमुख खूबी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *