देहरादून। सार्वभौमिकता से ही अंतरराष्ट्रीय संबंधों को ठीक कर सकते हैं। अध्यात्म ज्ञान वैश्विक है। वास्तविक सम्पदा आध्यात्मिकता है। आध्यात्मिकता का अंतिम लक्ष्य सस्टेनेबिलिटी है। आवश्यकता है प्रदर्शन, नाटक, आडंबर विहीन आध्यात्मिकता की। योग की साधना से ही संस्कारों का जागरण होता है। संसार को अच्छा बनाने के लिए ही आध्यात्मिकता है। ये बातें गणित विभाग राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कोटद्वार एवं देवभूमि विचार मंच द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी “भारतीय अध्यात्म विज्ञान की वर्तमान में प्रासंगिकता” पर विशिष्ट अतिथि के रूप अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के कुलपति प्रो. अरुण दिवाकर नाथ बाजपेई ने कही।

उन्होंने आगे कहा कि निष्काम भाव से जुड़कर ही उपभोग करें। धर्म अर्थ काम मोक्ष पुरुषार्थ के लक्षण हैं। आध्यात्मिक विज्ञान का साक्षात्कार करें। त्याग के साथ उपयोग करें।

मुख्य वक्ता महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय भोपाल के प्रो. निलिम्प त्रिपाठी ने कहा की मुक्ति का मार्ग देने वाले भी ऐषणाओं से मुक्त नहीं हैं। लोकेषणा, वित्तेषणा, पुत्रैषणा से मुक्त होना ही जीवन मंत्र है। मनुष्य अर्पण, तर्पण, समर्पण का भाव रखकर ही ऋषि ऋण से उर्ण हो सकते हैं। जीवन के प्रति संशय नहीं रखना है। बिना ज्ञान के व्यक्ति की मुक्ति नहीं होगी। अर्पण तर्पण समर्पण से ही पित्र ऋण, ऋषि ऋण और देव ऋण से मुक्त हुआ जा सकता है। आध्यात्मिक व्यक्ति का जीवन अहिंसक होना चाहिए। मन वचन कर्म से किसी के प्रति हिंसा का भाव न रखें। जो प्राप्त है वही पर्याप्त है। संतुष्ट रहने वाला ही श्रीमंत है।

विशिष्ट वक्ता हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण के सचिव डॉ ललित नारायण मिश्र ने शरीर के पांच कोषों का वर्णन एवं विविध प्रयोगों के वर्णन करते हुए कहा की विचारहीन से निर्विचार होना ही अध्यात्म है। मानसिक पूजन श्रेष्ठ है।
अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ जानकी पंवार ने किया।

राष्ट्रीय संगोष्ठी का संचालन संयोजक डॉ तृप्ति दीक्षित असिस्टेंट प्रोफेसर गणित एवं धन्यवाद ज्ञापन देवभूमि विचार मंच की प्रान्त संयोजिका डॉक्टर अंजली वर्मा ने किया। जिसमें प्रमुख रूप से डॉ अरुण कुमार चतुर्वेदी,डॉक्टर कंचन लता सिन्हा, प्रो वी के सारस्वत, डॉ सुषमा भट्ट, रवि जोशी, डॉ संजय शर्मा, डॉ पारुल दीक्षित, डॉ मोनिका दीक्षित, डॉ प्रवीण तिवारी, डॉ पीयूष दीक्षित, डॉ राजेश श्रीवास्तव सहित अनेक राज्यों से शिक्षाविद एवं देवभुमी विचार मंच के कार्यकर्ता वर्चुअल जुड़े रहे।