28 Jun 2025, Sat

नारद जयंतीः देवताओं का दिव्य दूत और संचार का अग्रणी, विश्व के  प्रथम पत्रकार नारद

देवर्षि नारद जी संचार माध्यम के स्रोत माने जाते हैं क्योंकि वे संवाद के जरिए सूचनाओं का आदान प्रदान करते रहते हैं।  इस कारण उन्हें संसार का प्रथम पत्रकार भी कहा जाता है।

नारद जयंती सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है जो सैकड़ों हजारों हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है। भगवान के दूत ‘नारद’ के जन्म दिवस के उपलक्ष में नारद जयंती मनाई जाती है। उन्हें देवताओं का दिव्य दूत और संचार का अग्रणी माना जाता है।

ऋषि नारद या देवर्षि नारद मुनि विभिन्न लोकों में यात्रा करते थे, जिनमें पृथ्वी, आकाश, और पाताल का समावेश होता था ताकि देवताओं और देवताओं तक संदेश और सूचना का संचार किया जा सके। उन्होंने गायन के माध्यम से संदेश देने के लिए अपनी वीणा का उपयोग किया। वह भगवान विष्णु के सबसे बड़े भक्तों में से एक थे।

नारद जयंती का पर्व पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह में कृष्णपक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है।  ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह दिन जून या मई के महीने में मनाया जाता है। इस साल नारद जयंती 9 मई और पंचाग भेद के कारण कुछ जगहों पर 8 मई को मनाई जा रही है। नारद जी को शास्त्रों में भगवान ब्रह्मा के सात मानस पुत्रों में से एक माना गया है। मान्यता है कि नारद जी का जन्म ब्रह्माजी की गोद से हुआ था। नारद जी के बारे में कहा जाता है वे एक जगह पर अधिक देर तक नहीं ठहरते हैं क्योंकि उन्हें वरदान मिला हुआ है। ब्रह्मा जी ने नारद को सृष्टि कार्य का आदेश दिया था, लेकिन नारद ने इससे इनकार कर दिया और भगवान विष्णु की भक्ति में लग गए। नारद भगवान विष्णु के परम भक्तों में से एक माने जाते हैं। शास्त्रों में इन्हें भगवान का मन भी कहा गया है।

श्रीमद्भगवद्गीता के दसवें अध्याय के 26वें श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण ने नारदजी के लिए कहा है कि – देवर्षीणाम् च नारद:। यानी मैं देवर्षियों में नारद हूं। देवर्षि नारद, महाग्रंथों को रचने वाले ऋषि वेदव्यास, वाल्मीकि और शुकदेव के गुरु हैं। नारदजी ने ही प्रह्लाद, ध्रुव, राजा अम्बरीष जैसे महान भक्तों को ज्ञान और प्रेरणा देकर भक्ति मार्ग में आगे बढ़ाया। इसी कारण उनको देवर्षि पद दिया गया है। यानी वो देवताओं के ऋषि हैं। कुछ ग्रंथों में कहा जाता है कि कठिन तपस्या के बाद नारद को ब्रह्मर्षि पद भी मिला था। नारद बहुत ज्ञानी थे, इसी कारण दैत्‍य हो या देवी-देवता, हर जगह उनको पूरा सम्मान दिया जाता थ। नारद जी श्रुति-स्मृति, इतिहास, पुराण, व्याकरण, वेदांग, संगीत, खगोल-भूगोल, ज्योतिष, योग आदि अनेक शास्त्रों में पारंगत थे। ये वीणा द्वारा भगवान विष्णु की भक्ति के प्रचारक थे। मां सरस्वती की कृपा इन पर होने से ये अत्यंत बुद्धिमान और संगीत में निपुण थे।नारद जी का सम्मान हर लोक में होता था। देवताओं के अलावा ज्ञानी, बुद्धिमान और चतुर होने के कारण दैत्य भी नारद जी का सम्मान करते थे। नारद जी वृतांतों का वहन करने वाले एक विचारक थे। इसलिए संगीत व पत्रकारिता में रुचि रखने वालों को खासतौर से नारद जी की पूजा करनी चाहिए।  वर्तमान समय में नारद जयंती मनाने तथा उन्हें प्रथम पत्रकार के रूप में स्थापित करने का  श्रेय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा स्थापित विश्व संवाद केन्द्र को जाता है।  हर वर्ष नारद जयंती के अवसर पर विश्व संवाद केंद्र द्वारा नारद जयंती मनाई जाती है और इस अवसर पर पत्रकारों को सम्मानित किया जाता है लेकिन कोरोना वायरस के चलते इस वर्ष यह कार्यक्रम नहीं हो पा रहा है। विश्व संवाद केंद्र से जुड़े तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तराखंड प्रांत के सह प्रचार प्रमुख संजय कुमार ने सभी मीडिया कर्मियों को नारद जयंती के अवसर पर शुभकामनाएं दी। 

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