देहरादून। राज्य के पर्वतीय अंचल में विगत चार दशकों से गणेश सिंह गरीब के नेतृत्व में चकबन्दी की मांग हो रही है और अब इसकी आवश्यकता भी महसूस की जा रही है। चकबन्दी के लिये प्रयारत गरीब क्रान्ति अभियान, उत्तराखण्ड द्वारा लगातार इस मांग पर आगे बढ़ने के फलस्वरूप ही वर्ष 2016 में तत्कालीन सरकार के काय्र्रकाल में राज्यपाल की स्वीकृति से ‘‘उत्तराखण्ड पर्वतीय क्षेत्रों के लिये जोत चकबन्दी एवं भूमि व्यवस्था विधेयक, 2016’’ धिनियम बना लेकिन वर्तमान में चकबन्दी के लिये एक समिति का गठन होने के उपरान्त भी अभी तक सरकारी स्तर पर नियमावली नहीं बनी है।
वर्तमान में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के गाँव खैरा, कृषि मंत्री सुबोध उनियाल के पैतृक गाँव औणी एवं एवं मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश के गाँव पंचूर पौड़ी गढ़वाल का नोटिफिकेशन भी हो चुका है। इस पर अभी शासन स्तर पर चकबन्दी नियमावली बनने के उपरान्त ही कैबिनेट से पास होने के फलस्वरूप धरातल पर कार्य शुरू हो सकेगा। 01 मार्च 2012 को चकबन्दी दिवस की शुरूआत की गयी थी ताकि समवेत स्वरों में चकबन्दी की मांग को और अधिक मजबूती मिल सके और अधिक से अधिक लोग जागरूक हों। ‘‘बात पहाड़ की जमीन बचाने की’’ को लेकर 01 मार्च 2020 को ‘‘चकबन्दी दिवस’’ का आयोजन ‘‘उम्मीद’’ समन्वित कृषि बागवानी केन्द्र की शुरूआत कर ढुंग्याड़, रायसेरा गवाणी, पौड़ी गढ़वाल में आयोजित किया जा रहा है इसमें पहाड़ों की खुशहाली चकबन्दी के लिये अनवरत प्रयासरत आधार स्तम्भ रहे वरिष्ठ पत्रकार स्व0 एल0 मोहन कोठियाल के विचारों को आगे बढ़ाते हुये कृषि एवं बागवानी के क्षेत्र में विक्रम सिंह रावत, ग्रामः गंगाऊँ, पट्टीः चोपड़ाकोट, ब्लाॅकः थलीसैंण, पौड़ी गढ़वाल को ‘‘संकल्प श्री’’ सम्मान दिया जा रहा है। चकबन्दी दिवस के इस कार्यक्रम में लगभग 70 नाली जमीन पर एक बड़े चक के रूप में ‘‘उम्मीद’’ समन्वित कृषि केन्द्र की भी शुरूआत की जा रही है जिसमें भविष्य में कृषि, बागवानी, डेयरी, मधुमक्खी पालन, मतस्य पालन, कुक्कुट पालन इत्यादि का सफल प्रयोग कर चकबन्दी के माॅडल के रूप में विकसित किया जायेगा साथ ही हमारा उद्देश्य ‘‘पहाड़ की जमीन बचाने की’ राह दिखाने के साथ ही उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्र में कृषि बागवानी के क्षेत्र में नई चेतना का संचार करना भी है।