देहरादून/पिथौरागढ़। अपनी बोली को बचाने के लिए रं समाज की मुहिम के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कायल हैं। प्रधानमंत्री ने अपनी मन की बात में धारचूला के रं समाज का जिक्र किया। अपनी बोली-भाषा को बचाने के लिए रं समाज द्वारा किए जा रहे प्रयासों की प्रधानमंत्री ने जमकर तारीफ की और इसे पूरी दुनिया को राह दिखाने वाली पहल बताया। रविवार को मन की बात में प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी बोली-भाषाएं ही विविधता में एकता का संदेश देती हैं। कहा कि उन्होंने धारचूला में रं समाज के लोगों द्वारा अपनी रंग ल्वौ बोली को बचाने के प्रयास की कहानी एक किताब में पढ़ी।

इस पर उनका ध्यान इसलिए गया क्योंकि वह कभी यात्रा के दौरान धारचूला में रुका करते थे। उस पार नेपाल इस पार काली गंगा। बताया कि रं समाज के लोगों की जनसंख्या बहुत कम है। ये लोग चिंतित थे कि उनकी भाषा बोलने वाले लोगों की संख्या कम है। इस पर 84 वर्ष के दीवान सिंह हों या 22 वर्ष की वैशाली गर्ब्याल, प्रोफेसर संदेशा रायपा गर्ब्याल हों या यहां के व्यापारी, सभी विभिन्न माध्यमों से भाषा को बचाने की कोशिश में लग गए। इन्होंने सोशल मीडिया का भी उपयोग किया। व्हाट्सएप ग्रुप बनाया, पत्रिका भी निकाली गई। बताया कि बोली को बचाने के लिए तमाम कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। सामाजिक संस्थाओं की भी मदद ली गई। प्रधानमंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने 2019 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ इंडीजिनियस लैंग्वेजेस के रूप में मनाया जा रहा है। इसके तहत ऐसी भाषाओं को संरक्षित किया जा रहा है, जो विलुप्त हो रही हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि रं समाज की यह पहल पूरी दुनिया को राह दिखने वाली है। उन्होंने कहा कि धारचूला की कहानी पढ़कर काफी संतोष मिला सभी लोगों से अपनी भाषा बोली का उपयोग करने की अपील भी की।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में धारचूला में आने-जाने के दौरान रुकने की बात का जिक्र किया उससे उनका पिथौरागढ़ के प्रति लगाव साफ नजर आया।