कोटद्वार। उत्तराखंड के कोटद्वार में बीरोंखाल ब्लाक के दिवोली ललितपुर गांव में अंगीठी के धुएं से दम घुटने से मां और बेटी की मौत हो गई। परिवार के तीन अन्य लोग बीमार हो गए। लोगों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उपचार के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई। रिखणीखाल सामुदायिक अस्पताल के डॉक्टरों ने पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिए हैं। घटना से परिजनों में कोहराम मचा है।
मृतका के भाई सोबित कुमार ने पुलिस को बताया कि कालिंका मेले में शामिल होने के लिए उसकी दीदी रूपा देवी उर्फ सरिता (25) पत्नी राजेंद्र निवासी धनोरा बुलंदशहर (यूपी) अपने पति और दो बच्चों के साथ मायके आई हुई थी। रविवार की रात सभी ने खाना खाया और सो गए। क्षेत्र में बर्फबारी के चलते शीतलहर चल रही थी। सर्दी से बचने के लिए उन्होंने अंगीठी जलाई। कुछ लोग दूसरे कमरे में सो गए, जबकि रुपा देवी अपने दोनों बच्चों तीन साल की आरूही और तीन माह की आरुषि के साथ मां गुड्डी देवी (55) के कमरे में सो गई। वह भी खुद उनके साथ इसी कमरे में सो गया। सर्दी के कारण उन्होंने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया। सोमवार सुबह छह बजे जब वह उठा तो उसका सर भारी था और बेचैनी महसूस कर रहा था। उसने अन्य परिजनों को उठाया तो उसकी मां गुड्डी देवी और तीन माह की आरुषि तो उठ गई, परंतु उसकी दीदी रूपा(सरिता) देवी और तीन साल की आरूही ने कोई हरकत नहीं की। उसने घबरा कर इसकी जानकारी अन्य परिजनों को दी, तो वे भी कमरे में पहुंचे और 108 सेवा के माध्यम से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बीरोंखाल ले गए। वहां डॉक्टरों ने रूपा देवी और आरूही को मृत घोषित कर दिया। बीमार पड़े सोबित, तीन माह की आरुषि और गुड्डी देवी को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई है। डॉक्टर शैलेंद्र रावत ने बताया कि मां-बेटी की मौत अंगीठी के धुएं से दम घुटने के कारण हुई है। डाक्टर ने बताया कि अंगीठी जलाने से कार्बन मोनोऑक्साइड गैस बनती है, यदि कमरा बंद है तो वह आक्सीजन को खत्म कर देती है। अंगीठी वाले कमरे में ताजी हवा आती रहनी चाहिए।