देहरादून। कांग्रेस उत्तराखंड विधानसभा में हुई नियुक्तियों के खिलाफ मुखर हो गई। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने विधानसभा में हुई भर्तियों में भी गड़बड़ी का आरोप लगाया है। कहा कि पूर्व में 129 भर्तियों में खेल हुआ है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि विधानसभा में नियुक्ति देने के मामले में उत्तर प्रदेश को भी पीछे छोड़ दिया है। उत्तराखंड विधानसभा में उत्तर प्रदेश की विधानसभा से ज्यादा कर्मचारी तैनात हैं।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि विधानसभा में बड़े नेताओं के चहेतों को रेवड़ी की तरह नौकरियां बांटकर प्रदेश के युवाओं से छलावा किया गया है। उत्तर प्रदेश की 403 सदस्यों वाली विधानसभा में 543 कर्मचारी व अधिकारी कार्यरत हैं, जबकि 70 सदस्यों वाली उत्तराखंड की विधानसभा में 560 से अधिक कर्मचारी व अधिकारी कार्यरत हैं।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। जिसका यह मतलब नहीं है कि नियमों को ताक पर रखकर सिर्फ पहुंच वाले और बड़े लोगों के सगे संबंधियों को ही मौका दिया जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि विधानसभा में भाजपा के कई बड़े नेताओं और मंत्रियों के नजदीकियों को नौकरी दी गई है।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि सरकार को तत्काल अध्यादेश लाना चाहिए। यदि सरकार ऐसा नहीं करेगी तो कांग्रेस इसे प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में विधानसभा में लाएगी। आर्य ने कहा कि राज्य की सभी भर्ती परीक्षाओं की विश्वसनीयता खत्म हो चुकी है। राज्य में यूकेएसएसएससी परीक्षा कराने वाली कंपनी व्यापम घोटाले में फंसी है और लखनऊ में इस कंपनी पर मुकदमा दर्ज है। सरकार को बताना चाहिए कि आखिर इस ब्लैक लिस्टेट कंपनी को काम देना उसकी क्या मजबूरी है? राज्य की हर परीक्षा में नकल गिरोहों का हाथ सामने आ रहा है। इसलिए सभी परीक्षाओं को जांच के दायरे में लाना आवश्यक है । हर चयनित अभ्यर्थी की कई तरह से जांच करना आवश्यक है। आर्य ने वर्तमान भर्तियों की जांच हाईकोर्ट के सिटिंग न्यायाधीश की देखरेख में सीबीआई से कराई जानी जरूरी है।
कांग्रेस ने सरकार से भर्तियों में घोटाले रोकने के लिए नकल विरोधी कानून बनाने की मांग की। राजस्थान ऐसा कानून बना चुका है। नकल माफिया के खिलाफ तभी कड़ी करवाई की जा सकती है जब राजस्थान की तर्ज पर नकल विरोधी कानून बनाया जाय।