देहरादून। उत्तराखंड में चारधाम यात्रा चरम पर है। आलम यह है कि सरकार ने बढ़ती भीड़ को देखते हुए पंजीकरण व्यवस्था को नियंत्रण करने का फैसला लिया। आंकड़ों के अनुसार अब तक लगभग 8 लाख से अधिक श्रद्धालु चार धाम यात्रा कर चुके हैं। चारधाम आने वाली श्रद्धालु अपने साथ पानी की बोतलें, चिप्स आदि प्लास्टिक के सामान लेकर जा रहे हैं, जिसे वे चार धामों में छोड़ कर आ जाते हैं, जिससे केदारनाथ सहित अन्य धामों में कूड़े का अंबार लग गया है। यात्रियों द्वारा लाए गए इस आयातित कूड़े का निस्तारण करने की पुख्ता व्यवस्था नहीं की गई है, जिसके चलते यह कूड़ा संवेदनशील क्षेत्रों के पर्यावरणीय दृष्टि से गंभीर बनता जा रहा है। आए दिन कई श्रद्धालु कूड़े के ढेर की फोटो तथा वीडियो भी शेयर कर रहे हैं। कहीं-कहीं यह भी देखने को आ रहा है, कूड़ा अलकनंदा तथा अन्य सहायक नदियों में भी डाला जा रहा है।
ताज्जुब की बात यह है कि इस ओर किसी भी का ध्यान नहीं जा रहा है। केदारनाथ में जहां-तहां गंदगी फैली हुई दिख रही है ,यह एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में भी केदारनाथ में फैलाई जाए जा रहे कूड़े पर चिंता व्यक्त की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात में भी केदारनाथ में यात्रियों द्वारा फैलाई जा रही गन्दगी की बात की। उन्होंने कहा कि केदारनाथ श्रद्धालु केदारनाथ में कुछ यात्रियों द्वारा फैलाई जा रही गन्दगी की वजह से बहुत दुखी भी हैं। Social media पर भी कई लोगों ने अपनी बात रखी है। हम, पवित्र यात्रा में जायें और वहां गन्दगी का ढ़ेर हो, ये ठीक नहीं।
उन्होंने कहा कि तीर्थ-यात्रा का महत्व होता है, वैसे ही, तीर्थ-सेवा का भी महत्व बताया गया है, और मैं तो ये भी कहूँगा, तीर्थ-सेवा के बिना, तीर्थ-यात्रा भी अधूरी है। देवभूमि उत्तराखंड में से कितने ही लोग हैं जो स्वच्छता और सेवा की साधना में लगे हुए हैं I हम जहाँ कही भी जाएँ, इन तीर्थ क्षेत्रों की गरिमा बनी रहे I सुचिता, साफ़-सफाई, एक पवित्र वातावरण हमें इसे कभी नहीं भूलना है, उसे ज़रूर बनाए रखें और इसीलिए ज़रूरी है, कि हम स्वच्छता के संकल्प को याद रखें। यह एक सोचनीय पहलू है कि केदारनाथ जैसे संवेदनशील क्षेत्र में फैल रहे कूड़े को लेकर देश के प्रधानमंत्री को बोलना पड़ रहा है जबकि यह मामला जागरूकता तथा सरकारी तंत्र के स्तर का है। क्यों न ऐसी व्यवस्था बनाई जाए जो इस तरह के कूड़े को फैलाने से रोक सके चार धाम जा रहे यात्रियों के लिए यह एक नियम बना दिया जाए जो भी अपने साथ सामान ले जा रहे हैं वह कूड़ा या तो एक नियत स्थान पर रखें या तो फिर वापस आकर नीचे क्षेत्रों में कूड़ा निस्तारण हेतु डाल दें। प्रधानमंत्री ने मन की बात में स्पष्ट संदेश दिया कि तीर्थ-यात्रा का महत्व होता है, वैसे ही, तीर्थ-सेवा का भी महत्व बताया गया है, और मैं तो ये भी कहूँगा, तीर्थ-सेवा के बिना, तीर्थ-यात्रा भी अधूरी है। प्रधानमंत्री की इस बात पर अगर अमल किया जाए और हर श्रद्धालु इस बात का ध्यान रखें कि पवित्र स्थानों पर कूड़े को ना फैलाएं तो यह समस्या सामने नहीं आएगी। सही मायनों में तीर्थ यात्रा का अर्थ यह है की हम पवित्रता बनाए रखें। सरकारी स्तर तथा श्रद्धालुओं को इस दिशा में प्रयास करने चाहिए और चार धामों में फैल रहे इस प्रकार के अनावश्यक गंदगी को रोकने में सहयोग करें।