देहरादून/हरिद्वार (उत्तराखंड संवाद भारती) । केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों को समाप्त करने के निर्णय के बाद उत्तराखंड में भी देवस्थानम बोर्ड को भंग करने का दबाव सरकार पर बनता जा रहा है देवस्थानम बोर्ड को समाप्त करने को तीर्थ पुरोहित का विरोध अब तेज हो चला है। इसी का नतीजा है कि तीर्थ पुरोहितों का विरोध लगातार सरकार को झेलना पड़ा रहा है।
देवस्थानम बोर्ड को समाप्त करने को लेकर संत समाज भी आक्रमक हो गया है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के एक गुट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी (महानिर्वाणी) ने कहा है कि देवस्थानम बोर्ड भंग किए जाने की मांग को लेकर अखाड़ा परिषद संतों के साथ गैरसैंण में विधानसभा सत्र के दौरान विरोध प्रदर्शन करेगा। उससे पहले अखाड़ा परिषद मुख्यमंत्री को लिखित ज्ञापन सौंपेगा और बोर्ड बनने से प्रभावित पुरोहितों से भी मिलेगा।
श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने कहा कि सत्ता पक्ष के कई विधायक भी बोर्ड बनने के खिलाफ हैं। विधानसभा अध्यक्ष को भी एक ज्ञापन सौंपा जाएगा। उन्होंने कहा कि देवस्थानम बोर्ड भंग करने को लेकर सरकार को 30 नवंबर तक का समय दिया जा रहा है। इस अवधि में सरकार अगर उनकी मांग पर सकारात्मक पहल नहीं करती है तो संतों को आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए वह फिर से राज्य के मुख्यमंत्री से मिलकर मांग पत्र सौंपेंगे। श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने कहा कि सरकार को मठ-मंदिरों की सदियों से चली आ रही व्यवस्थाओं में हस्तक्षेप से बचना चाहिए।
संत समाज व पुराहितों द्वारा परंपराओं के अनुसार समाज हित के लिए मठ-मंदिरों का संचालन किया जाता है। बता दें कि बोर्ड पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के कार्यकाल में बना था। उनके बाद तीरथ सीएम बने। उन्होंने बोर्ड को भंग करने का वादा किया था। अब सीएम धामी भी लगातार वही वादा दोहरा रहे हैं। लेकिन, अब तक निर्णय नहीं हो पाया है जिससे तीर्थ पुरोहितों, हक हकूकधारियों व संतों में आक्रोश व्याप्त है।