देहरादून। उत्तराखंड में चैत्र संक्रांति के अवसर पर मनाए जाने वाला फूलदेई लोक पर्व की धूम है। पर्वतीय जिलों तथा मैदानी क्षेत्रों में भी फूलदेई पर्व को धूमधाम से मनाया जा रहा है। बच्चे सुबह से ही रंग बिरंगी पुष्प टोकरी में लेकर घर-घर जाकर फुल पुष्प वर्षा कर रहे हैं। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भी अपने भागीरथपुरा में स्थित निजी आवास पर बच्चों के साथ फूलदेई पर्व मनाया। इस अवसर पर बच्चों ने मुख्यमंत्री के घर की दहलीज पर पुष्प वर्षा की। श्रीनगर में फुलदई के अवसर पर लोगों ने रैली निकाली। देश के विभिन्न हिस्सों में रह रहे प्रवासी उत्तराखण्डियों ने भी फुलदई पर्व मनाया गया।
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत तथा पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत में सोशल मीडिया के माध्यम से फूलदेई पर्व की प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह तथा भाजपा के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने भी प्रदेश वासियों को फूलदेई पर्व की शुभकामनाएं दी।
वहीं, उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध लोक पर्व फूलदेई के अवसर पर रविवार प्रातः राजभवन पहुंचे बच्चों ने प्रकृति के साथ सुख-शान्ति और समृद्धि की शुभकामनाएं लेकर राजभवन की दहलीज पर फूल बरसाये। हाथों में सुंदर फूलों की छोटी-छोटी टोकरियां थामे बच्चियों ने राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य जी को शुभकामनाएं दीं। राज्यपाल ने भी उत्साह के साथ बच्चों का स्वागत किया और उन्हें चावल, अन्य अनाज एवं उपहार भेंट किए। राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने बच्चों के खुशहाल एवं उज्जवल भविष्य की कामना की। राज्यपाल ने कहा कि लोकपर्व फूलदेई पर्यावरण संरक्षण का उत्सव है। फूलदेई त्यौहार राज्य का लोकपर्व है। यह लोकपर्व प्रकृति प्रेम एवं पर्यावरण सरंक्षण का संदेश देता है। हमें अपनी परम्पराओं तथा संस्कृति से भावी पीढ़ी को जोड़ना होगा।
ऋषिकेश। विधानसभा अध्यक्ष श्री प्रेम चंद अग्रवाल ने बैराज स्थित अपने कैंप कार्यालय में उत्तराखंड का पारंपरिक फूलदेई त्योहार बच्चों के साथ मनाया। केम्प कार्यालय की दहलीज पर फूल डालने के बाद बच्चों ने विधानसभा अध्यक्ष को रंग लगाया। साथ ही फूल-फूलमाई दाल दे, खूब-खूब खज्जा. समेत अन्य फुलारी के गीत गाए। विधानसभा अध्यक्ष ने शगुन में बच्चों को मुट्ठी भर चावल और गेहूं भेंट किए।
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा त्योहार हम उत्तराखंडवासियों कोे प्रकृति के प्रति अपने कर्त्तव्यों की याद दिलाता है। उन्होंने कहा कि ऐसे त्योहार हमें संस्कृति के साथ संजो कर रखते है। श्री अग्रवाल ने प्रकृति के इस त्योहार की बच्चों को बधाई दी। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह पर्व उत्तराखण्ड की संस्कृति को उजागर करता है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि फूलदेई उत्तराखण्ड की प्राचीन परम्परा है। नव वर्ष के आगमन पर बच्चे घरों में जाकर पुष्पदान करते है और बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं। प्रकृति के इस त्योहार को संजोए रखने के लिए सबको मिलकर प्रयास करने होंगे। फूलदेई का त्योहार सुख शांति की कामना का प्रतीक है।उन्होंने कहा कि यह बड़ी खुशी की बात है कि हमारे बच्चों में अपनी संस्कृति और परंपराओं से लगाव बना हुआ है।
इस अवसर पर ऋषिकेश मंडल के अध्यक्ष दिनेश सती, श्यामपुर मंडल अध्यक्ष गणेश रावत, श्यामपुर मंडल महामंत्री रवि शर्मा, भूपेंद्र रावत, वीर भद्र मंडल महामंत्री सुरेंद्र सिंह, जयंत किशोर शर्मा, महावीर चमोली, अनीता तिवारी, सुशीला बिष्ट सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
लोकपर्व हमारे समाज की जीवंतता के उदाहरणः अनिल बलूनी
दिल्ली। उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख श्री अनिल बलूनी ने कहा कि आज फुलदेई का त्यौहार संपूर्ण उत्तराखंड और प्रवासी उत्तराखंडियों द्वारा प्रसन्नता और उल्लास के साथ मनाया गया। देश के गृहमंत्री श्री अमित शाह जी एवं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जेपी नड्डा जी ने ट्वीट करके उत्तराखंड वासियों को फूलदेई त्यौहार की शुभकामनाएं दी।
श्री बलूनी ने माननीय गृह मंत्री जी और राष्ट्रीय अध्यक्ष जी का आभार जताते हुए कहा कि हमारे लोकपर्व हमारे समाज की जीवंतता के उदाहरण हैं। पलायन के कारण उत्तराखंड ही नहीं सभी अंचलों में पारंपरिक त्यौहारों और रीति-रिवाजों पर असर पड़ा है। ऐसे में फूलदेई त्यौहार के प्रति इतना उल्लास संतोष देता है कि हमारी लोक संस्कृति और परंपराएं हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहने की प्रेरणा देती है।
श्री बलूनी ने कहा कि कुछ समय पूर्व उन्होंने उत्तराखंड के एक और प्रमुख त्यौहार इगास को लेकर उसे मनाने के अभियान में भागीदारी की थी। हमारा प्रयास है देश विदेश में रह रहे हमारे प्रवासी अपनी समृद्ध धरोहर को संरक्षित करें। हमारे पारंपरिक त्यौहार, व्यंजन और रीतिरिवाज हमारे महान पूर्वजों की जीवन शैली और उनकी मान्यताओं की झलक देते हैं।