हरिद्वार। उत्तराखंड के हर की पैड़ी की ओर से बह रही गंगा की धारा अब एस्केप चैनल से बाहर रहेगी। रविवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसकी घोषणा की और कहा कि गंगा की धारा को एस्केप चैनल घोषित करने वाले शासनासदेश को सरकार ने निरस्त करने का फैसला लिया है और जल्द ही इसका नया शासनादेश जारी होगा।
रविवार को संतों के साथ कुंभ की समीक्षा बैठक के दौरान बातचीत मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि हर की पैड़ी को एस्केप चैनल से मुक्त रखा जाएगा।
गंगा सभा और अखाड़ा परिषद की ओर से लंबे समय से यह मांग की जा रही थी। गंगा को एस्केप चैनल घोषित करने से लोगों की आस्था पर चोट पहुंची है। 2017 से यह मांग की जा रही है।
वहीं,पूर्व सीएम हरीश रावत ने रविवार को पुराने शासनादेश को निरस्त करने के सीएम के बयान पर कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हमारी (हरीश रावत) सरकार के गंगा संबंधित निर्णय को बदलने का आदेश कर ही दिया। मैं अखाड़ा परिषद और गंगा सभा को बधाई देता हूं।
वर्ष 2016 में तत्कालीन हरीश रावत की सरकार ने भागीरथी बिंदु, सर्वानंद घाट भूपतवाला से हरकी पैड़ी, मायापुर और दक्ष मंदिर कनखल तक बहने वाली गंगा को एस्केप चैनल घोषित कर दिया था। इसका मतलब था कि यह धारा एक नहर है जो गंगा में अतिरिक्त पानी की निकासी के काम आती है।
एनजीटी ने गंगा के किनारे के 200 मीटर के दायरे में निर्माण को हटाने के आदेश दिए थे। हर की पैड़ी से होकर बह रही गंगा के किनारे होटल, आश्रम आदि के निर्माण का भी है। जिनका हटना तय था। हरीश रावत की सरकार ने इस निर्माण को बचाने के लिए ही गंगा की धारा को एस्केप चैनल घोषित किया था। जबकि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और श्री गंगा सभा ने अध्यादेश को लेकर विरोध जताया था। श्री गंगा सभा ने तो 2017 में अध्यादेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है।