माले (मालदीव)/नई दिल्ली (हि.स.)। पाकिस्तान ने मालदीव में आयोजित चौथे दक्षिण एशिया विधान मंडल अध्यक्षों के सम्मेलन में कश्मीर का राग अलापने की कोशिश की, जिस पर भारत की ओर से मुंहतोड़ जवाब दिया गया।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश और पाकिस्तानी प्रतिनिधियों के बीच तीखी नोंकझोंक हुई और सम्मेलन में कुछ समय के लिए अव्यवस्था की स्थिति पैदा हो गई। मंच पर बैठे पीठासीन अधिकारियों ने दोनों पक्षों से बार-बार शांत रहने की अपील की।
सम्मेलन में पाकिस्तान की राष्ट्रीय असेंबली के उपाध्यक्ष कासिम खान सूरी ने कश्मीर में मानवाधिकारों के हनन का राग अलापना शुरू किया तो भारत की ओर से राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने करारा जवाब दिया। उन्होंने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए सम्मेलन के अध्यक्ष से इस पर आपत्ति व्यक्त करते हुए पाकिस्तानी प्रतिनिधि के बयान को भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप बताया। उन्होंने अध्यक्ष से आग्रह किया कि वह सम्मेलन के लिए तय विषय से अलग हटकर प्रलाप करने की अनुमति न दें। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया में शांति और स्थायित्व के लिए आवश्यक है कि पाकिस्तान सीमापार से आतंकवाद बंद करे।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के नेतृत्व में गए प्रतिनिमंडल में शामिल डॉ हरिवंश ने कहा कि पाकिस्तान सीमापार आतंकवाद बढ़ाने वाला देश है और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में अलग-थलग पड़ गया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र सहित पूरा जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।
हरिवंश की आपत्ति के बाद पाकिस्तान की एक महिला प्रतिनिधि ने अपनी ओर से व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि सतत विकास का लक्ष्य हासिल करने की बुनियादी शर्त यह है कि मानवाधिकारों का संरक्षण किया जाए। पाकिस्तानी प्रतिनिधि जब भारत को मानवाधिकार का पाठ पढ़ा रही थीं, उसी समय हरिवंश ने पाकिस्तान के मानवाधिकार रिकॉर्ड की बखियां उधेड़ दी।
हरिवंश ने कहा कि कश्मीर में मानवाधिकार हनन का झूठा प्रचार करने वाला पाकिस्तान खुद बांग्लादेश में नरसंहार करने का दोषी रहा है। पाकिस्तानी सेना के नरसंहार के कारण बांग्लादेश के रूप में पृथक देश अस्तित्व में आ गया। इसलिए पाकिस्तान को मानवाधिकार की दुहाई देने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
हिन्दुस्थान समाचार