दीपावली का प्रकाश पर्व कोरोना संकट को टालने तथा सुख-समृद्धि, उत्सवधर्मिता की ओर गतिशील होने एवं राष्ट्रीय जीवन के हर अंधेरे पक्ष को दूर करने की संकल्प शक्ति प्रदान करे….

किसी भी परिस्थिति में पर्व, उत्सवों का आगमन मानव जीवन उल्लास और उमंग का संचार करने के साथ एकरसता को तोड़ने में सहायक बनता है। दीपावली प्रकाश पर्व पर इसकी आशा और अधिक बढ़ जाती है। जन-जन को स्पंदित करने और अपनी परंपराओं से जुड़ने एवं उन्हें समृद्ध बनाने का अवसर प्रदान करने वाले ऐसे पर्व केवल जीवन की एकरसता को ही नहीं तोड़ते, अपितु हर किसी के मन में नई आशाओं के अनेकों दीप भी जलाते हैं। इस बार यह पर्व कोरोना संक्रमण से उत्पन्न भिन्न परिस्थितियों में इसलिए मनाना पड़ा रहा है, क्योंकि राष्ट्रीय जीवन की गति को बाधित करने वाला कोरोना संकट अभी टला नहीं है। दीपावली का आगमन इस संकट को टालने में सहायक बने, इसके लिए सभी को सक्रिय रहना होगा। दीपोत्सव ही एक ऐसा उपाय है, जिससे कोरोना रूपी अंधेरे को आसानी से परास्त किया जा सकता है। यह भी स्मरण रहना चाहिए कि संकट केवल कोरोना रूपी नहीं है। देश के एक हिस्से का प्रदूषित वायुमंडल भी इसका एक बड़ा संकट है। ऐसे संकटों से तभी पार पाया जा सकता है, जब उनसे सामूहिक तौर पर समाप्त किया जाएगा। जिस प्रकार सब मिलकर दीपोत्सव को मनाते हैं, वैसे ही हमें राष्ट्रीय समस्याओं को दूर करने के लिए भी एकजुट होना होगा, क्योंकि किसी भी देश की समस्याओं का समाधान सबके सहयोग से ही संभव है।
दीपावली पर्व पर जिस प्रकार अनगिनत दीयों का प्रकाश कोने-कोने के अंधकार को दूर भगाता है, वैसे ही जन-जन का सहयोग राष्ट्र की हर समस्या से लड़ने की साम‌र्थ्य भी प्रदान करता है। अंधेरे से लड़ने और सुख-समृद्धि की ओर गतिशील होने का संदेश देने वाले इस पर्व की उत्सवधर्मिता में किसी भी प्रकार की कमी न रहें लेकिन उत्सव मनाने में आवश्यक सतर्कता का परिचय देना भी समय की मांग है। आशा है यह दीपावली का प्रकाश पर्व राष्ट्रीय जीवन के हर अंधेरे पक्ष को दूर करने की संकल्प शक्ति प्रदान करे।


कमल किशोर डुकलान, रुड़की (हरिद्वार)