देहरादून। राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए सरकार द्वारा शुरू की गयी होम स्टे योजना से पर्यटन को कितने चार चांद लग सकंेगे और पलायन पर कितना रोक लग सकेगा यह तो बाद की बात है, अभी फिलहाल इस योजना को लेकर पर्यटन मंत्री और पर्यटन सचिव अलग-अलग राग अलाप रहे हैं।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि राज्य के बंद पड़े हजारों स्कूल भवनों का इस्तेमाल इस योजना के लिए किये जाने की बात कही जा रही है। उनका कहना है कि जिन स्कूलों को सरकार बंद करने का निर्णय ले चुकी है पर्यटन विभाग उनको स्टे होम या लाज के रूप में इस्तेमाल करेगा। लेकिन इसके विपरीत पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर का साफ कहना है कि बंद पड़े स्कूलों का उपयोग इस योजना के लिए नहीं किया जायेगा।
पर्यटन मंत्री और सचिव इस मामले में अलग अलग राय व्यक्त कर रहे हंै। उनकी अपनी अपनी ढपली और अपने अपने राग के पीछे क्या कारण है यह वहीं बेहतर समझ सकते है लेकिन सवाल यह है कि क्या होम स्टे योजना जिसे लेकर सरकार पलायन रोकने तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार लाने जैसे सपने देख रही है वह इसी तरह साकार होगें। राज्य सरकार ने राज्य में 5 हजार स्टे होम खोलने का लक्ष्य रखा है अब तक लगभग दो हजार होम स्टे खुल भी गये हंै। सरकार द्वारा होम स्टे की एडवांस बुकिंग के मेक माई ट्रिप व्यवसायिक वेबसाइड भी लांच करने जा रही है। जिसके लिए उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद और एमएमटी के साथ एमओयू भी साइन हो चुका है लेकिन सवाल यह है कि क्या यह होम स्टे इसी तरह खोले जा सकेंगे जब पर्यटन मंत्री कुछ कहे और सचिव कुछ और कहे।