देहरादून। हिस्ट्री टीवी 18 भारतीय विषयों पर रोचक कार्यक्रम बनाता आ रहा है और अब इसी क्रम में देश का सबसे सफल फैक्चुअल एंटरटेनमेंट चैनल  प्रस्तुत कर रहा है विश्व के सबसे बड़े और सबसे सफल धार्मिक आयोजन कुम्भ मेले पर एक घंटे का विशेष कार्यक्रम।  कुम्भ विश्व का सबसे शांतिपूर्ण पर्व है जिसमें करोड़ों श्रद्धालु भाग लेते हैं। अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार कुम्भ मेले के दौरान प्रयागराज में दो महीने में 240 मिलियन से भी ज्यादा लोग एकत्रित हुए। यह संख्या न्यूयॉर्क जहाँ साल 2019 में  सबसे ज्यादा लोग आए, उन साल भर आए विजिटर्स की संख्या से तीन गुना से भी ज्यादा है। यह डॉक्यूमेंट्री दर्शकों को श्रद्धालुओं के बीच ले जाती है और दिखाती है कुछ भावपूर्ण मानवीय कहानियां, कुछ चैंकाने वाले तथ्य और वो सभी तैयारियां जो करोड़ों लोगों की जमा हुई भीड़ से बनने वाली लॉजिस्टिक चुनौतियों का सामना करती हैं।  कुम्भ के वर्तमान स्वरुप के साथ-साथ ये डॉक्यूमेंट्री कुम्भ के इतिहास पर भी प्रकाश डालती है और पुराणों में इसके वर्णन से लेकर इस पर्व से जुड़ी कहानियों-किस्सों का भी जिक्र करती है।
इस डॉक्युमेंटरी को बनाने में लगभग एक वर्ष का समय लगा जिसमें कुम्भ मेले की विभिन्न स्तर पर बड़ी-छोटी तैयारियों से लेकर सात सप्ताहों तक चलने वाले इस मेले के अंतिम दिन तक को दर्शाया गया है।  इसका फिल्मांकन दिन-रात चला और हाई-डेफिनिशन वाले 4के कैमरा से जिस तरह की इमेज कैप्चर की गई हैं उन्हें स्क्रीन पर देखने का अनुभव निःसंदेह मंत्र मुग्ध करने वाला है।  पूरी फिल्म को बहुत ही खूबसूरती से शूट किया गया है और गंगा, यमुना, सरस्वती के संगम तट से लेकर प्रयागराज के समतल इस तरह से शूट किए गए हैं कि मानो प्रकृति का सारा सौंदर्य धरती के इसी भाग में सिमट गया हो।  किसी भी पर्व को सुंदर बनाते हैं लोग और उस पर्व से जुड़ी परम्पराएँ। कुम्भ में ऐसे पलों की कभी कमी नहीं होती।  साधु, संत और श्रद्धालुओं के जीवन से कैंडिड मोमेंट्स कैप्चर करने से लेकर खोया-पाया केंद्रों पर हलचल के दृश्य इस फिल्म से बांधे रखते हैं और हर एक फ्रेम नई कहानी बयान करता है।  इस फिल्म के कुछ किरदार बड़े यादगार हैं जिनमें बॉलीवुड सिनेमेटोग्राफर, अमेरिकन साध्वी, किन्नर अखाड़े का सदस्य और कंट्रोल एवं कमांड सेंटर के हेड शामिल हैं।  कुम्भ लोगों का पर्व है और इसीलिए इस फिल्म का नैरेटिव भी लोगों के नजरिए से है। कुम्भ के साथ उनका अनुभव ही रचता है इस फिल्म की स्क्रिप्ट।  वाकई कुम्भ का अनुभव एकदम अनोखा और जीवन के सबसे यादगार अनुभवों में से एक है।