देहरादून। उत्तराखंड राज्य के युवा मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के विशेष आमंत्रण पर हिंदी साहित्य भारती के शीर्ष प्रतिनिधि मंडल ने केंद्रीय अध्यक्ष डॉ रवीन्द्र शुक्ल के नेतृत्व में उनसे भेंट की और उनके साथ भाषा-साहित्य सम्बंधी विषयों पर विस्तार से चर्चा की। प्रतिनिधि मण्डल में वरिष्ठ संरक्षक महामंडलेश्वर स्वामी शाश्वतानंद, केन्द्रीय उपाध्यक्ष अंतरराष्ट्रीय कवि-साहित्यकार डॉ बुद्धिनाथ मिश्र , केन्द्रीय महामंत्री डॉ अनिल शर्मा और प्रदेश मीडिया प्रभारी ठाकुर मोहित सिंह थे।
इस अवसर पर डॉ बुद्धिनाथ मिश्र ने मुख्यमंत्री श्री धामी को विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में प्रकाशित अपने नियमित स्तंभ के 56 आलेखों का नया संग्रह ‘ निरख सखी ये खंजन आये ‘ भेंट किया,जिसके बारे में डा शुक्ल ने मुख्यमंत्री को बताया कि कवि भविष्यद्रष्टा होता है, इसका प्रमाण यही है कि अप्रैल,2014 में ही छपे बुद्धिनाथ जी के तीन आलेखों में साहित्यिक युक्तियों से घोषित कर दिया गया था कि अगले प्रधानमंत्री मोदी जी ही होंगे, जबकि आम चुनाव होनेवाला था और मई में परिणामों की घोषणा के बाद भी अनेक प्रकार की शंकाएं-समस्याएं थीं। डॉ मिश्र जैसे अंतरराष्ट्रीय ख्याति के साहित्यकार के देहरादून में रहने से उत्तराखंड राज्य गौरवान्वित हुआ है।
बुद्धिनाथ जी ने मुख्यमंत्री श्री धामी को बताया कि दो साल पहले वाराणसी के यशस्वी लेखक श्री धर्मेन्द्र सिंह के सहयोग से संपादित मेरी पुस्तक ‘मेरी काशी’ का लोकार्पण 2017 में प्रथान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने वाराणसी में किया था।बाद में उसकी आठ लाख प्रतियां छापकर काशी संसदीय क्षेत्र के नागरिकों में वितरित की गयी थी।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने 30 जून,2019 को राष्ट्रपति भवन में सम्पन्न अपने मंत्रिमंडल के शपथग्रहण समारोह में डॉ बुद्धिनाथ को काशी के साहित्यकार के रूप में विशेष आमंत्रित किया था।
मुख्यमंत्री श्री धामी ने महामंडलेश्वर और डॉ शुक्ल को शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि जब हम छात्र नेता थे, तब डॉ शुक्ल जी संयुक्त उत्तर प्रदेश के यशस्वी शिक्षा मंत्री थे। मूल्य आधारित राजनीति के पोषक डॉ शुक्ल ने बतौर शिक्षा मंत्री स्कूलों में ‘वंदे मातरम्’ गाने का निर्देश जारी किया था,जिसके वापस लेने के प्रश्न पर उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था। महामंत्री डॉ शर्मा ने बताया कि यह संस्था देश के प्रत्येक राज्य में जनपद स्तर पर सक्रिय है। इसके अलावा 34 देशों में इसकी शाखाएं कार्यरत है।