नई दिल्ली (हि.स.)। केरल के नवनियुक्त राज्यपाल व इस्लामिक विचारक आरिफ मोहम्मद खान ने कहा है कि संस्कृति का ताल्लुक आस्था से नहीं होता है, संस्कृति का ताल्लुक वातावरण, जलवायु, सभ्यता और आसपास की भौगोलिक परिस्थितियों से होता है। कबीर के राम घट-घट में थे, वाल्मीकि के राम मर्यादा पुरुषोत्तम राम थे। सब एक डोर से बंधे हुए हैं। हमें इसी डोर को मज़बूत करना है।
कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में डॉ. मोहम्मद अलीम द्वारा लिखित नाटक ‘इमाम -ए- हिंद : राम’ का देश के सौ शहरों में मंचन का ऐलान किया गया । इसके साथ ही ‘इमाम-ए-हिंद: राम’ (नाटक) पुस्तक का विमोचन हुआ । अदबी कॉकटेल एवं डायलॉग इनिशिएटिव फाउंडेशन द्वारा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संवाद कार्यक्रम में पुस्तक विमोचन तथा नाटक के मंचन की घोषणा की गई । इस अवसर पर “इमाम-ए-हिंद : राम – सबके राम” विषय आधारित संवाद आयोजित किया गया । इस संवाद में मुख्य वक्ता के तौर पर अपनी बात रखते हुए आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि खुदा ने जब इंसानी पुतलों में रूह फूंकी तो वो सिर्फ़ मुसलमानों के जिस्म नहीं बल्कि सभी इंसानों के थे।
उन्होंने कहा कि अदबी कॉकटेल एवं डायलॉग इनिशिएटिव फाउंडेशन के सहयोग से प्रस्तुत वाल्मीकि रामायण पर आधारित ये नाटक अपनी तरह का पहला प्रयास है। उर्दू भाषा में इससे पहले नाटक के तौर पर राम कथा कहीं नहीं दिखाई देती है।
खान ने कहा कि राम भारत के जन-जन में रचे बसे हुए हैं। हम चाहें तो उन्हे ईश्वर मानें या फिर उसका अवतार या उन्हें अयोध्या के राजा मर्यादा पुरुषोत्तम राम के रूप में देखें। राम भारत के करोड़ों लोगों की आस्था-विश्वास-श्रद्धा का केन्द्र हैं। आप भारत की मिट्टी से राम को अलग नहीं कर सकते। राम हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्र. टी.वी कट्टीमनी ने कहा कि लोग प्रश्न करते हैं कि आदिवासी हिंदू हैं या नहीं, तो मैं कहना चाहता हूँ कि सभी आदिवासी भाषाओं में राम लक्ष्मण और सीता शब्द मौजूद हैं।
प्रख्यात चिंतक एवं पूर्व सांसद डॉ महेश चंद्र शर्मा ने अपने अध्यक्षीय भाषण में इस प्रयास की तारीफ करते हुए कहा कि यह पूछना ही सही नहीं कि राम किस धर्म के हैं। राम तो यहां के कण-कण में हैं, हर व्यक्ति में हैं। राम सबके हैं। इसीलिए इमाम ए हिंद जैसे प्रयास होते रहने चाहिए।
कार्यक्रम में ‘इमाम-ए-हिंद: राम’ नाटक पर विशेष टिप्पणीकार प्रो. बिस्मिल्ला ने कहा कि दुनिया के कम से कम चौदह देशों में रामलीला का मंचन होता है, इसलिए डॉक्टर अलीम का लिखा नाटक इमाम ए हिंद का मंचन सिर्फ़ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में किया जाना चाहिए।
नाटक के लेखक डॉ. अलीम ने इस पुस्तक के भरत मिलाप प्रसंग एक भाग का वाचन भी किया। डायलॉग इनिशिएटिव फाउंडेशन के संस्थापक न्यासी डॉ. राकेश ने संवाद कार्यक्रम की भूमिका रखते हुए कहा कि भारत की पुण्यभूमि पर मर्यादा पुरुषोत्तम राम जाति-धर्म-क्षेत्र की विविधताओं के बावजूद आदर्श के रूप में सदैव स्वीकार्य रहे हैं । प्रसिद्ध शायर अल्लामा इकबाल की नज्म इस बात का सशक्त उदाहरण है, जिसमें वे राम को इमाम-ए-हिंद कहकर संबोधित करते हैं ।
अदबी कॉकटेल के अतुल गंगवार ने बताया कि आने वाले दिनों में ‘इमाम-ए-हिंद: राम’ के मंचन की तैयारी चल रही है। इस नाट्य मंचन का निर्देशन प्रख्यात निर्देशक मुश्ताक काक कर रहे हैं। गंगवार ने बताया कि अदबी कॉकटेल की कोशिश होगी कि ‘इमाम-ए-हिंद: राम’ नाटक कश्मीर से कन्याकुमारी और बाड़मेर से बरक तक भारत के जन-जन तक पहुंचाया जाए। इस मंचन श्रृंखला की शुरुआत इसी वर्ष दिल्ली से की जाएगी ।
हिन्दुस्थान समाचार