देहरादून। विधान सभा में हुई तदर्थ नियुक्तियों में अनियमितता को लेकर गठित समिति की 214 पृष्ठों की रिपोर्ट और समिति की संस्तुति के आधार पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूडी ने 2016 के बाद नियुक्त सभी तदर्थ नियुक्तियों को रद्द कर रही हैं। शुक्रवार को विधानसभा में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में विधान सभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूडी ने कहा कि बैकडोर भर्ती की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय समिति ने गुरुवार देर रात उन्हें अंतिम रिपोर्ट सौंपी। इसी रिपोर्ट की संस्तुति के अनुसार वो 2016 के बाद नियुक्त सभी तदर्थ नियुक्तियों को रद्द कर रही हैं। कहा कि विशेषज्ञ समिति से जॉच रिपोर्ट प्राप्त हो गयी है। समिति ने सराहनीय कार्य किया है और निर्धारित अवधि के पूर्व ही रिपोर्ट सौप दी है। पूरी रिपोर्ट 214 पेज की है, जबकि केवल रिपोर्ट का अंश 29 पेज का है। समिति ने विधान सभा सचिवालय के रिकार्ड का परीक्षण करने पर यह पाया है कि वर्ष 2016 तक, वर्ष 2020 तथा वर्ष 2021 में जो तदर्थ नियुक्तियां की गयी उनमें अनियमितताए थीं तथा इन भर्तियों में विभिन्न पदों के लिये निर्धारित नियमों का पालन नहीं हुआ है। समिति ने विभिन्न न्यायालयों द्वारा नियम विरूद्ध भर्तियों के सम्बन्ध मे समय-समय पर दिये गये आदेशों का हवाला देते हुए अपनी रिपोर्ट में यह सिफारिश की है। उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने वर्ष 2016 के बाद विधानसभा में हुई सभी बैकडोर भर्तियों को निरस्त कर दिया है। इसकी जद में कुल 228 कर्मचारी आ रहे हैं, इसके अतिरिक्त उपनल के जरिए नियुक्त 22 कर्मचारियों की नियुक्ति भी रद्द कर दी गई है। इस तरह इस अवधि में कुल 250 भर्तियों को निरस्त किया गया है।
खंडूडी ने बताया कि चूंकि इन तदर्थ नियुक्तियों का अनुमोदन शासन स्तर से हुआ है, इसलिए नियमानुसार इस फैसले को अमली जामा पहनाने के लिए वो शासन को पत्र लिख रही हैं। शासन का अनुमोदन मिलने के बाद सभी नियुक्तियां तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी जाएंगी। इसी के साथ उपनल द्वारा की गयी 22 नियुक्तियों को भी तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया है। इसी तरह अन्य 32 पदों के लिए चल रही भर्ती भी एजेंसी के विवादित होने के कारण निरस्त कर दी गई है। इस परीक्षा के आवेदकों की फीस लौटाई जा सकती है। ऋतु खंडूडी ने बताया कि 32 पदों के लिए चल रही भर्ती में दागी एजेंसी के चयन के मामले में सचिव मुकेश सिंघल की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। इसलिए उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है, इस मामले की जांच में यदि सिंघल दोषी पाए गए तो विभागीय कार्यवाई की जाएगी। दूसरी तरफ उन्हे नियम विरुद्ध पदोन्नति मामले की जांच भी अलग से चल रही है। फिलहाल सिंघल को अवकाश पर ही रखा गया है। वो जल्द ही सरकार से स्थायी सचिव की मांग करेंगी।
2016 के बाद नियुक्त सभी कमर्चारियों की नियुक्ति निरस्त किए जाने का फैसला सामने आते ही प्रभावित कर्मचारियों ने विरोध शुरू कर दिया है। विरोध की कमान महिला कर्मचारियों ने सम्भाली है। महिला कर्मचारियों ने तत्काल विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी के कार्यालय के बाहर जमा होकर विरोध दर्ज करना शुरु कर दिया है। कई महिलाएं इस दौरान रो रही हैं। उन्होंने 2016, 2020 और 2021 के कमर्चारियों को टारगेट किए जाने का आरोप लगाया। उन्होंने राज्य गठन के समय से नियुक्त सभी कर्मचारियों के लिए एक मानक रखने की मांग की है। इस वक्त विधानसभा में गहमागहमी तेज हो गई है।