4 Jul 2025, Fri
देवप्रयाग। वेद हमारे ज्ञान के प्राचीनतम आधार हैं। श्रुति परंपरा के कारण वेदों का ज्ञान आज तक सुरक्षित रह पाया और हम तक पहुंच पाया है। इसलिए संस्कृत के क्षेत्र में ज्ञान को अग्रसारित करने में कण्ठस्थ करने की परंपरा महत्त्वपूर्ण रही है। यह बात उत्तराखंड के संस्कृत शिक्षा के सहायक निदेशक डॉ. वाजश्रवा आर्य ने कही। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में राज्यस्तरीय संस्कृत शास्त्रीय स्पर्धाओं के समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने कहा कि हमारे संस्कृत साहित्य में विज्ञान भी निहित है,जबकि अन्य साहित्यों में केवल कथाएँ और इतिहास ही है। आयुर्वेद को हम तक संस्कृति साहित्य ने ही पहुंचाया,जो कोरोनाकाल में अनेक लोगों का प्राण रक्षक बना। संस्कृत यद्यपि कंप्यूटर की बेहतरीन भाषा है,परंतु इस क्षेत्र में अपेक्षित कार्य होना बाकी है। उन्होंने कहा कि श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर उत्तराखंड में संस्कृत शिक्षा का नेतृत्व करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हमारे विद्यालयों और महाविद्यालयों के छात्रों के लिए यह नालंदा और तक्षशिला सिद्ध होगा। सारस्वत अतिथि वेदविभागाध्यक्ष डॉ.शैलेन्द्रप्रसाद उनियाल ने कहा कि वैदिक ज्ञान के कारण ही भारत विश्वगुरु बना है। हमारी वैदिक संस्कृति विश्व की संस्कृतियों में अग्रगण्य है।
अध्यक्षता करते हुए निदेशक प्रो.विजयपाल शास्त्री ने कहा कि इस परिसर में संस्कृतमय वातावरण बनाने को कृतसंकल्प हैं। उन्होंने अष्टाध्यायी और गीतापाठ स्पर्धा में प्रतिभाग करने वाले सभी विद्यार्थियों को परिसर की ओर से 11-11 सौ रुपये दिए तथा कहा कि भविष्य में यह राशि बढा़यी जाएगी। कार्यक्रम संयोजक डॉ. अनिल कुमार ने आख्या प्रस्तुत कर बताया कि 14 स्पर्धाओं में राज्यभर के 70 विद्यार्थियों ने भाग लिया।
समस्यापूर्ति स्पर्धा में निशांत कुमार प्रथम,शुभागिनी आर्या द्वितीय,भानुप्रताप आर्य तृतीय रहे। अक्षरश्लोकी में ऋतेश पांडेय प्रथम,निशांत कुमार द्वितीय,सक्षम आर्य तृतीय रहे। साहित्य श्लाका में राजाराम डंगवाल प्रथम रहे। शास्त्रीय स्फूर्ति में कृपाराम शर्मा,जीवनचंद्र जोशी प्रथम,निशांत कुमार,आकाश द्वितीय, धनंजय देवराडी़,अनिल भट्ट तृतीय रहे। वेदभाष्यभाषणम् में प्रथम भानुप्रताप आर्य रहे। दूसरे स्थान पर आयुष उनियाल तथा तृतीय शुभम् भट्ट रहे। ज्योतिष भाषण में मनीष भट्ट प्रथम व नितिन रतूड़ी द्वितीय रहे। साहित्य भाषण में धनंजय देवराडी़ प्रथम रहे। व्याकरण भाषणम् में अनिल भट्ट प्रथम तथा लोकेशचंद्र बडसिलिया द्वितीय रहे। अष्टाध्यायी कंठपाठ में अंकिता प्रथम,सक्षम आर्य,मनोज कुमार द्वितीय तथा पीयूष तृतीय रहे। धातु कंठपाठ में दीक्षा सिंह प्रथम,आकाश द्वितीय तथा खुशी पूर्वे तृतीय रहीं। गीता कंठपाठ में प्रिया प्रथम,स्वाति द्वितीय तथा यशस्वी कौशिक तृतीय रही। अमरकोष कंठपाठ में सिद्धि प्रथम रही। काव्यकण्ठपाठ में ऋचा अग्रवाल प्रथम रही। शास्त्रार्थ विचार में जीवनचंद्र जोशी प्रथम रहे। विजेताओं में पुरस्कृत किया गया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ.दिनेशचन्द्र पाण्डेय,स्वागत डॉ.कृपाशंकर शर्मा तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ.श्रीओम शर्मा ने किया। इस अवसर पर डॉ. अरविंदसिंह गौर,डॉ.वीरेंद्र सिंह बर्त्वाल,डॉ.शैलेन्द्रनारायण कोटियाल,पंकज कोटियाल आदि उपस्थित रहे।

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