देहरादून। नए श्रमिक कानून लाने और मौजूदा कानून में हो रहे लगातार बदलाव के खिलाफ सोमवार को सैकड़ों श्रमिकों ने परेड ग्राउंड धरना स्थल से सचिवालय कूच किया। जन हस्तक्षेप के बैनर तले दोपहर 12.30 बजे रैली की शक्ल में निकले श्रमिकों को पुलिस ने कनक चैक पर रोक दिया। इसके बाद श्रमिकों ने यहीं सड़क पर बैठकर प्रदर्शन किया। बाद में जिला प्रशासन के प्रतिनिधि के मार्फत मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा। इसके बाद दोपहर 1.10 बजे श्रमिक कनक चैक से उठ गए।
इससे पहले बड़ी संख्या में विभिन्न संगठनों से जुड़े श्रमिकों ने परेड ग्राउंड धरना स्थल पर जमा होकर केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। यहां श्रमिकों को संबोधित करते हुए चेतना आंदोलन के सह संयोजक शंकर गोपाल ने कहा कि राज्य में गरीब और मजदूर लोगों के लिए संचालित कल्याणकारी योजनाओं में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार हो रहा है। राज्य सरकार की गलत नीतियों के कारण मजदूर और गरीब की हालत बदतर होती जा रही है। जब तक इसमें सुधार नहीं होता श्रमिक वर्ग सड़कों पर आंदोलन करता रहेगा। मजदूरों से जुड़ी योजनाओं पर भ्रष्टाचार पूरी तरह से समाप्त किया जाए। बस्ती में रहने वाले लोगों की बेदखली से जुड़े अधिनियम पर तेजी से कार्य किया जाए। ताकि ये लोग सकून से रह सकें। केंद्र सरकार की ओर से प्रस्तावित चार नए श्रमिक कानून पूरी तरह से श्रमिकों के खिलाफ हैं। इनमें सुधार किया जाए। केंद्र सरकार वन अधिकार कानून 2006 को कमजोर करने पर तुली है। इससे उत्तराखंड के लोगों पर विपरीत असर पड़ेगा। श्रमिकों ने इस दौरान स्कूटर और साईकिल रैली भी निकाली। हालांकि अधिकतर श्रमिक इस दौरान पैदल ही रैली में शामिल हुए। परेड ग्राउंड धरना स्थल से दोपहर 12 बजे के करीब सबसे पहले कनक चैक, सर्वेचैक, तिब्बती मार्केट, लैंसडाउन चैक होते हुए गोल चक्र के रूप में प्रदर्शन किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में विभिन्न क्षेत्रों के श्रमिकों ने भाग लिया। रैली में समाजवादी पार्टी के पूर्व राज्य अध्यक्ष डा. एसएन सच्चान, सीपीआईएम के वरिष्ठ नेता बची राम कंसवाल, चेतना आंदोलन के सह संयोजक शंकर गोपाल, सतीश धौलाखंडी, पप्पू कुमार, ममता देवी, सुनिता देवी, अशोक कुमार, नरेश कुमार, रामू, राजेश कुमार, राजाराम, प्रभु पंडित, विजेंद्र शर्मा, नूर आलम, सिकंदर पंडित, अनिल पंडित, संजय सैनी, पवनराम आदि रहे शामिल।