देहरादून। भारत में कोरोना वायरस के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इस महामारी के चलते देश के कई जिलों में 31 मार्च तक लॉकडाउन घोषित कर दिया गया है। इसी कडी में इस घातक बीमारी को देखते हुए उत्तराखंड में भी लॉकडाउन कर दिया गया है। ऐसे में खनन कार्य से जुड़े हजारों मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
दरअसल, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड सहित अन्य राज्यों से लोग मजदूरी करने के लिए उत्तराखंड आते हैं। यह मजदूर यहां गौला नदी, कोसी नदी, दाबका नदी समेत प्रदेश की अन्य नदियों पर खनन करने का कार्य करते हैं। साथ ही प्रदेश की राजधानी देहरादून व रूद्रपुर आदि जनपदों में हो रहे बड़े पैमाने के निर्माण कार्यो से भी इनकी रोजी रोटी चलती है। उधर देश सहित प्रदेश में राज्य सरकार ने 31 मार्च तक लॉकडाउन घोषित कर दिया है। ऐसे में खनन कार्यों से जुड़े मजदूरों के सामने आर्थिक संकट गहरा गया है। वहीं, अन्य प्रदेशों से आने वाले इन मजदूरों को उनका भुगतान नहीं मिल पा रहा है, जिसके उनकी दिक्कतें दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। प्रदेश सरकार को खनन कार्य से हर साल करोड़ों का राजस्व मिलता है। लेकिन मजदूरों को उनकी मजदूरी न मिलने से उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, राज्य की विभिन्न नदियों पर करीब 40 हजार से अधिक मजदूर खनन का काम करते हैं। लॉक डाउन के दौरान श्रमिक पर रोजी रोटी का संकट आ गया है। सोमवार को राजधानी देहरादून के पटेल नगर में श्रमिक सुबह से काम मिलने का इंतजार करते रहे। गैस एजेंसी में सिलिंडर लेने के लिए लोगों की लाइन लगी रही। निरजंनपुर मंडी में सब्जी और फलों के लिए लोगों की भीड़ लगी रही। मंडी में भीड़ नियंत्रित के लिए भी कोई उपाय नहीं है। यहां सुबह से लोंगों की भीड़ उमड़ रही है, जिससे संक्रमण का खतरा बना हुआ है। मजदूरों के सामने करोना वायरस से जंग लड़े रहे इन कठिन दिनों में रो मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट गहराने लगा है।