देहरादून। देश के विभिन्न राज्यों और प्रदेश के अलग-अलग जिलों में लॉकडाउन के दौरान फंसे लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए शासन ने नरमी बरती है। सभी जिलाधिकारियों को व्यवहारिकता और मानवता के आधार पर लोगों को उनके घर भेजने की अनुमति दी गई है। हालांकि इसमें भी रेड जोन, ग्रीन जोन और ऑरेंज जोन को ध्यान में रखते हुए लोगों को अनुमति दी जाएगी।
जहां एक तरफ बाहरी राज्यों में फंसे उत्तराखंड के लोगों की घर वापसी को लेकर सरकार ने कवायद शुरू कर दी है, तो वहीं कई ऐसे लोग भी हैं जो कि राज्य के भीतर ही अपने घर से दूर अलग-अलग जिलों में फंसे हुए हैं। ऐसे लोगों के प्रति नरमी बरतते हुए उत्तराखंड शासन द्वारा सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि जरूरी औपचारिकताएं पूरी करके इन लोगों को उनके घरों तक जाने की अनुमति दे दी जाए। मुख्य सचिव ने जानकारी देते हुए कहा कि राज्य के भीतर भी आवाजाही के लिए यही नियम लागू होंगे। लोगों का हेल्थ चेकअप किया जाएगा। मुख्य सचिव ने बताया कि जो कि जो जिले ग्रीन जोन में हैं वहां पर आवाजाही में कोई विशेष समस्या नहीं है। लेकिन रेड जोन और ऑरेंज जोन में एहतियात बरतने की जरूरत है।
दून में फंसे लोगों को उनके घरों तक भेजने की तैयारी
देहरादून। लॉकडाउन के बीच राजधानी देहरादून में फंसे राज्य के विभिन्न जिलों के 2178 छात्र-छात्राओं और आमजन को उनके घरों तक पहुंचाने की तैयारियां कर ली गई हैं। किस जिले के कितने छात्र-छात्राएं और आमजन देहरादून में फंसे हैं, सरकार ने इसका डाटा तैयार करवा लिया है।
इसकी सूची परिवहन विभाग को भी मुहैया करा दी है। निगम अधिकारी अब इन लोगों को विभिन्न जिलों में पहुंचाने की तैयारियां शुरू कर दी है। आंकड़ों पर नजर डालें तो देहरादून में लॉकडाउन के बाद से अल्मोड़ा के 75, बागेश्वर के 45, चमोली के 316, चंपावत के 19, हरिद्वार के 193, नैनीताल के 132, पिथौरागढ़ के 89, पौड़ी गढ़वाल के 403, रुद्रप्रयाग के 212, टिहरी के 369, ऊधमसिंह नगर के 87 और उत्तरकाशी के 238 लोग फंसे हुए हैं। इन सभी लोगों ने फोन करके सरकार, शासन और प्रशासन को जानकारी दी थी। अब ऐसे लोगों को उनके घर भेजने की तैयारी कर ली है। इसके लिए परिवहन निगम अधिकारियों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। महाप्रबंधक दीपक जैन का कहना है कि निगम के स्तर से बसों को तैयार करने के साथ ही चालकों, परिचालकों को अलर्ट कर दिया है। जैसे ही आदेश मिलते हैं बसों से इन लोगों को उनके गांव तक पहुंचा दिया जाएगा