कई मंत्रियों के अधिकारी भी हुए क्वारंटीन

देहरादून। उत्तराखंड के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज, उनके परिवार और स्टाफ के 22 लोगों में कोरोना की पुष्टि होने के बाद से ही प्रदेश में हड़कंप मचा हुआ है। कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत समेत तीन कैबिनेट मंत्री सेल्फ क्वारंटीन में चले गए हैं। शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने इसकी पुष्टि की है।
दरअसल, संक्रमण की पुष्टि होने से पहले कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज बीते शुक्रवार को मंत्रिमंडल की बैठक में शामिल हुए थे। बैठक में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत समेत सभी कैबिनेट मंत्री, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह और शासन के अन्य उच्च अधिकारी मौजूद थे। ऐसे में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक, सुबोध उनियाल और हरक सिंह रावत ने सेल्फ क्वारंटीन में जाने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ऐहतियात बरतते हुए सभी बैठकें निरस्त कर दी हैं। हालांकि अभी अन्य कैबिनेट मंत्रियों को प्रशासन द्वारा क्वारंटीन नहीं किया जाएगा।
वहीं, जिला प्रशासन की ओर से मांगे जाने पर गोपनीय विभाग ने पांच मंत्रियों समेत 15 से 20 लोगों के नाम दे दिए हैं। जिला प्रशासन ही इस पर निर्णय लेगा। सचिव, स्वास्थ्य अमित नेगी ने बताया कि कोरोना संक्रमण रोकने के लिए आईसीएमआर की ओर से जारी गाइडलाइन में संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले लोगों की ट्रेसिंग की दो श्रेणी तय की गई है। इसमें ‘हाई रिस्क’ और ‘लो रिस्क’ श्रेणी शामिल है। अधिक रिस्क वाले संपर्क की दशा में 14 दिन का होम क्वारंटीन किया जाएगा और आईसीएमआर के प्रोटोकॉल के अनुसार सैंपल टेस्ट किए जाएंगे। कम रिस्क वाले संपर्क वाले अपना कार्य पहले की तरह कर सकते हैं।
कोरोना के खिलाफ जंग जीतने का दावा करने वाली उत्तराखण्ड सरकार पर हुए कोरोना के बड़े हमले से सूबे में हड़कंप मचा हुआ है। काबीना मंत्री सतपाल महाराज, उनकी पत्नी, परिजनों व स्टाफ के कोरोना पाजिटिव मिलने के बाद अब मुख्यमंत्री सहित तमाम मंत्रियों व अधिकारियों को होम क्वारंटीन कर दिया गया है।
उत्तराखण्ड देश का पहला ऐसा राज्य है जहां पूरी सरकार ही कोरोना की चपेट में आ गई है। जिस शासन-प्रशासन पर प्रदेश वासियों और प्रवासियों को कोरोना से बचाने की जिम्मेवारी थी वह सरकार खुद अपनी लापरवाही के कारण कोरोना का शिकार हो जाये तो ऐसे में सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना लाजमी है।
अब लोग पूछ रहे है कि क्या सभी को आरोग्य सेतू एप डाउनलोड करने की नसीहत देने वाली सरकार के किसी मंत्री व अधिकारी ने आरोग्य सेतू एप डाउनलोड नहीं किया था। अगर किया था तो फिर इस एप ने उन्हे सतपाल महाराज के कोरोना संक्रमित होने की जानकारी क्यों नहीं दी? महाराज जिनके आवास पर क्वारंटीन परिसर का नोटिस चस्पा था उन्हांेने नियमों का उल्लंघन क्यों किया? क्यों वह कैबिनेट की बैठक में गये। जिसके कारण पूरी सरकार और सचिवालय प्रशासन संकट में फंसा हुआ है। हास्यापद बात यह है कि अभी भी सत्ताधारी व अधिकारी स्वंय के लो रिस्क में होने की बात कहकर क्वांरटाइन होने से बचने का प्रयास कर रहे है। हाई रिस्क व लो रिस्क की आड़ में अब डीएम दून को तय करना है कि इन मंत्रियों व अधिकारियों को 14 दिन के लिए क्वारंटीन किया जायेगा या नहीं।
फिलहाल यह मंत्री व अधिकारी स्वतः होम क्वारंटीन है यह जानकारी मदन कौशिक ने दी है। मुख्यमंत्री अधिकारियों को क्या क्वांरटीन नियमों का पालन न करने वालों पर धारा 307 (हत्या का प्रयास) में मुकदमा दायर करने के निर्देश देते है। क्या ऐसे में वह सतपाल महाराज के खिलाफ भी 307 का मुकदमा दर्ज करायेंगे? या फिर उन पर यह नियम लागू नहीं होगा। इस मामले ने सरकार को ऐसे कई सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। जो सरकार खुद को कोरोना से नहीं बचा सकी वह जनता को क्या बचायेगी? क्या कोरोना को लेकर बने नियम कानून सिर्फ आम आदमी के लिए ही बने है? भाजपा मुख्यालय पर चस्पा क्वांरटीन नोटिस से भी भाजपा ने कोई सबक लेने की जरूरत क्यों नहीं समझी।