डा० राजेंद्र कुकसाल (मो०- 94565909)


मिर्च में यह रोग फफूंद के द्वारा होता है जिसे मिर्च का उगठा रोग कहते हैं । उगठा रोग को फ्यूजेरियम विल्ट के नाम से भी जाना जाता है। मिर्च एवं बैंगन के अलावा टमाटर अरहर, चना, मटर, मसूर, सेम, कद्दू, आदि फसलें भी इस रोग से प्रभावित होती हैं।

इस रोग में खड़ी फसल के पौधों की पत्तियां अचानक नीचे की ओर झुक जाती हैं और पीली पड़कर सूख जाती हैं । अन्त में पूरा पौधा पीला पड़कर मर जाता है। यदि समय रहते उपचार नहीं किया गया तो पूरी फसल सूख कर नष्ट हो जाती है।

रोग से बचाव एवं उपचार-

1.खेत की ग्रीष्म कालीन गहरी जुताई करनी चाहिए जिससे हानिकारक फफूंद तेज धूप से नष्ट हो जाय । अन्तिम जुताई के समय एक नाली खेत में 3 से 4 किलो ग्राम विना बुझा चूना मिट्टी में मिला दें।

2.खेत में जल निकासी का उचित प्रबंध होना चाहिए।

3. पिछले बर्ष जिस खेत में मिर्च लगाई हो उस खेत में फिर से मिर्च पौधों का रोपण न करें।

4. खेत की तैयारी के समय ट्रायकोडर्मा से
मृदा उपचार करें।

फफूंदी जनित बीमारियों की रोकथाम हेतु:-

एक किलोग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर को 25 किलोग्राम कम्पोस्ट (गोबर की सड़ी खाद) में मिलाकर एक सप्ताह तक छायादार स्थान पर रखकर उसे गीले बोरे से ढँकें ताकि ट्राइकोडर्मा के बीजाणु अंकुरित हो जाएँ। इस कम्पोस्ट को एक एकड़( 20 नाली) खेत में फैलाकर मिट्टी में मिला दें साथ ही एक नाली में 40 किलो ग्राम की दर से नीम की खली का भी प्रयोग करें।

5. खडी फसल में उगठा रोग आने पर रोग ग्रसित सूखे पौधौ को उखाड़ कर नष्ट करें।

6. कार्बन्डाजिम (वैबस्टीन) एक चम्मच दवा तीन लिटर पानी में या कापर आक्सी क्लोराइड (ब्लाइटाक्स) एक चम्मच दवा दो लिटर पानी में घोल बनाकर खड़ी फसल के पौधों की जड़ों को तर करें। पांच दिनों के अन्तराल पर फिर किसी एक दवा का प्रयोग करें एक ही दवा बार बार न प्रयोग करें।

7. बोर्डो मिक्चर घोल से रोग ग्रसित पौधौ की जड़ों को तर कर उपचारित करें।

बोर्डों मिक्चर बनाने की विधि:-

80 ग्राम नीला थोथा (कापर सल्फेट) जिसे परचून / पन्सारी की दुकान से आसानी से खरीदा जा सकता है तथा 80 ग्राम अनबुझा चूना की निर्धारित मात्रा अलग-अलग 5 – 5 लीटर पानी में घोलें। इन दोनों घोलों को एक साथ उडेलते हुए तीसरे बर्तन में मिश्रित करें। यही मिश्रण बोडों मिश्रण है।

मिश्रण को बनाने के लिए कांच , मिट्टी अथवा प्लास्टिक के बर्तनों का ही प्रयोग करें, धातु से बने बर्तन का प्रयोग न करें ताकि नीला थोथा में विद्यमान तांबा धातु के साथ बर्तन की धातु की कोई प्रतिक्रया न हो।

बोर्डों मिश्रण बनाने के बाद इसकी अम्लता का परीक्षण करना आवश्यक है। क्योंकि अम्लीय मिश्रण में तांबा धातु के स्वतंत्र कण पौधों के लिए घातक होते हैं। अम्लता के परीक्षण हेतु मिश्रण में एक साफ और तेजधार वाला चाकू समतल अवस्था में कुछ समय के लिए डुवायें और फिर धीरे से बाहर निकाल कर देखें। यदि चाकू की धार के ऊपर लाल भूरे रंग की कोई तह जमी दिखाई दे तो समझें कि मिश्रण अम्लीय हैं, अत: इसमें और चूना मिलाकर इसे सहीे करें। बोर्डों मिश्रण हमेशा ताजा स्थिति में ही प्रयोग करें।

7. यह फफूंद अधिक तापमान (मई – जून) में वातावरण में नमी अधिक नमी होने पर पनपती है। जिन क्षेत्रों में उगठा रोग का प्रकोप मिर्च की फसल पर अधिक होता है मिर्च के पौधों का रोपण माह जून के अन्तिम सप्ताह या जौलाई माह में करें।