नई दिल्ली। सारी दुनिया को सैन्य उपकरण तथा विमान बेचने वाले अमेरिका को भारत अब स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के फाइटर ट्रेनर बेचेेेगा। अमेरिका के अनुरोध पर अब भारत ने लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के लीडर इन फाइटर ट्रेनर संस्करण के साथ अपने अंडरग्रेजुएट जेट ट्रेनिंग सिस्टम के लिए हामी भर दी है। एचएएल ने हाल ही में भारतीय नौसेना के आईएनएस विक्रमादित्य पर इसका सफल परीक्षण किया था। अमेरिका खुद भारत के लिए सैन्य उपकरणों का एक महत्वपूर्ण निर्यातक रहा है, जिसमें परिवहन विमान से लेकर तोपखाने, बंदूकें और हमले हेलीकॉप्टर शामिल हैं। अमेरिकी हथियार निर्माताओं ने अब भारत के रक्षा बाजार को मजबूत करने के लिए जगह बनाई है, जिसमें नए फाइटर जेट्स, मानवरहित लड़ाकू हवाई वाहन और अन्य लोगों के बीच वायु रक्षा प्रणाली के प्रस्ताव हैं। तेजस के नौसैनिक संस्करण का गोवा में तट आधारित परीक्षण सुविधा के साथ-साथ आईएनएस विक्रमादित्य पर भी बड़े पैमाने पर परीक्षण किया गया है।
बता दें अमेरिकी नौसेना को काफी से समय से अंडरग्रेजुएट जेट ट्रेनिंग सिस्टम (यूजेटीएस) की तलाश थी, जिसके लिए भारत ने एक लड़ाकू जेट ट्रेनर की पेशकश की है। अमेरिकी नौसेना को मई, 2020 से अंडरग्रेजुएट जेट ट्रेनिंग सिस्टम (यूजेटीएस) की तलाश थी, जिस पर भारत ने स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के फाइटर ट्रेनर का प्रस्ताव अमेरिका के सामने रखा। इस पर अमेरिकी नौसेना ने अपने अनुरोध में कई बुनियादी मानकों के बारे में जानकारी मांगी। अमेरिका की दिलचस्पी को देखते हुए भारत ने आधिकारिक अनुरोध का जवाब देते हुए यूजेटीएस के बारे में अमेरिका को एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी, जिसमें कॉकपिट डिस्प्ले लेआउट से लेकर सभी प्रकार के फाइटर जेट्स की तरह सुविधाएं होने की जानकारी दी गई। अमेरिका को यह भी बताया गया कि हिन्दुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने हल्के लड़ाकू विमान एलसीए तेजस के इस नौसैनिक संस्करण अंडरग्रेजुएट जेट ट्रेनिंग सिस्टम का सफलतापूर्वक संचालन किया है।
हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के चेयरपर्सन आर माधवन का कहना है कि फाइटर जेट ट्रेनर के विकास का सारा काम पूरा किया जा चुका है। इस ट्रेनर जेट में इस तरह की सुविधाएं होंगी कि इसे जिस लड़ाकू विमान को उड़ाने की ट्रेनिंग देने के लिए इस्तेमाल किया जाना है, उसी के मुताबिक इसमें बदलाव किये जा सकेंगे। जैसे कि अगर राफेल जेट उड़ाने के लिए पायलट को प्रशिक्षण दिया जाना है तो इसमें राफेल जैसे बदलाव किये जाने के बाद ट्रेनर पायलट को ऐसा लगेगा कि जैसे वह राफेल को उड़ा रहा है। इसके अलावा जरूरत के हिसाब से और भी बदलाव किये जाने की पूरी गुंजाइश है। अमेरिकी नौसेना ने अपने अनुरोध में जिन बुनियादी मानकों के बारे में जानकारी मांगी थी, उसे पहले ही पूरा किया जा चुका है। यह सौदा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत उस हथियार निर्माता देश अमेरिका से यह डील कर रहा है, जो पूरी दुनिया को हथियारों की आपूर्ति करता है।