देहरादून। एफआरआई के पास एक तेज रफ्तार प्राइवेट बस ने तीन साइकिल सवार बच्चों को रौंद दिया। इससे साइकिल सवार तीनों बच्चे घायल हो गए। दो बच्चों को मामूली चोटें आई हैं, जबकि एक बच्चे के कंधे में गंभीर चोट आने पर प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जानकारी के मुताबिक सुबह करीब 9.45 बजे तीन बच्चे एक साइकिल से एफआरआई की तरफ जा रहे थे। एफआरआई गेट के पास बल्लूपुर से प्रेमनगर की तरफ जा रही विकासनगर रूट की बस ने साइकिल को टक्कर मार दी। इससे साइकिल सवार तीनों बच्चे सड़क पर गिर पड़े।
मौके पर मौजूद लोगों ने बस को रोककर तीनों बच्चों को संभाला और घटना की सूचना पुलिस को दी। मौके पर पहुंची वसंत विहार पुलिस ने तीनों बच्चों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया। जहां दो बच्चों को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई। जबकि एक बच्चे के कंघे में गंभीर चोट लगने के कारण फिलहाल उसका इलाज प्राइवेट अस्पताल में चल रहा है। थानाध्यक्ष वसंत विहार नत्थीलाल उनियाल ने बताया कि तीनों बच्चे 10, छह और चार वर्ष के हैं। तीनों बच्चे वसंत विहार में अपने परिजनों के साथ एक रिटायर्ड अधिकारी के घर पर सर्वेंट क्वार्टर में रहते हैं। सुरक्षा के लिहाज से बस और साइकिल को वसंत विहार थाने में खड़ा किया गया है। बस ड्राइवर खुद बच्चे का इलाज करवा रहा है। देहरादून-विकासनगर-डाकपत्थर रूट की बसों में न केवल यात्री जान को हथेली में रखकर चलते हैं, बल्कि यह बसें सड़क पर चलने वालों के लिए मौत बनकर दौड़ती है। यहीं नहीं बसों में छेड़छाड़ और चालक, परिचालक  और हेल्परों की गुंडागर्दी की शिकायतें भी अक्सर मिलती हैं, लेकिन न तो पुलिस और न ही परिवहन निगम की नजर इन बसों पर पड़ती है। देहरादून-विकासनगर-डाकपत्थर रूट की बस की ओर से एफआरआई गेट के सामने साइकिल सवारों को टक्क र मारकर घायल करना पहला मामला नहीं है। पिछले दो-तीन साल के अंदर यह बसें कई लोगों को कुचल चुकी हैं और कई को घायल कर चुकी हैं। इसके बावजूद सरकारी तंत्र की नींद टूटने का नाम नहीं ले रही। इसके अलावा इन बसों में अक्सर छेड़छाड़ के साथ ही चालक परिचालक और हेल्पर की गुंडागर्दी आम बात है। यात्रियों की मानें तो बसों में चालक व परिचालक की किसी हरकत का यदि किसी ने विरोध कर दिया तो उसकी शामत पक्की है। सवारियों से मारपीट, बदसलूकी समेत बीच रास्ते में बस रोककर उन्हें उतार दिया जाता है। यह बात पुलिस और परिवहन निगम से छुपी नहीं हैं। रोज इनकी शिकायतें होती रहती है, लेकिन न तो पुलिस और न ही परिवहन निगम इनके खिलाफ कोई कार्रवाई करता है।