21 Nov 2025, Fri

बाल दिवसः बाल श्रम, कुपोषण, गरीबी और बाल शोषण खातमे का संकल्प

प्रत्येक वर्ष भारत में 14 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है। यह दिन बेहद खास होता है, क्योंकि देश के बच्चों के अधिकारों और उज्जवल भविष्य की बात की जाती है। इस दिन देशभर के शैक्षणिक संस्थानों में बच्चों को लेकर खास कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। लेकिन क्या आज जानते हैं कि भारत में आखिर 14 नवंबर को ही बाल दिवस क्यों मनाया जाता है।
बता दें कि साल 1964 में भारत के पहले प्रधानमंत्री रहे पंडित जवाहर लाल नेहरू का निधन हो गया था। ऐसे में संसद में यह प्रस्ताव लाया गया कि पंडित नेहरू के जन्मदिन पर बाल दिवस का आयोजन किया जाए। वहीं सभी सांसदों ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी और इस तरह से 14 नवंबर को बाल दिवस मनाए जाने की शुरूआत हुई।

यह जानना दिलचस्प है कि अंतरराष्ट्रीय बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता है। यूनाइटेड नेशन ने 1954 में इस दिन को सार्वभौमिक बाल दिवस के रूप में घोषित किया था। 20 नवंबर का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि 1959 में इसी दिन यूनाइटेड नेशन्स असेंबली ने बाल अधिकारों की घोषणा को अपनाया था। भारत भी इस दिवस को मानता है और बाल कल्याण से जुड़े मुद्दों पर इस दिन चर्चा होती है। हालांकि, भारत में मुख्य उत्सव और आयोजन 14 नवंबर को ही होते हैं। यह एक ऐसा फैसला था जिसने एक राष्ट्रीय नेता के प्रति सम्मान और बच्चों के प्रति उनके प्यार को अमर कर दिया।

बता दें कि स्कूलों में बाल दिवस मनाने के अपना तरीका है। इस दिन स्कूलों में बच्चों द्वारा फूड स्टॉल्स लगाए जाते हैं। इन स्टॉल्स का नेतृत्व बच्चे करते हैं और इन फूट स्टॉल्स पर बच्चों के पेरेंट्स और टीचर खरीददारी के लिए आते हैं। वहीं कुछ स्कूलों में इस दिन बच्चों द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुति देने के साथ स्पीच भी दी जाती है।

यह दिन समाज को बच्चों के शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और संरक्षण के अधिकारों की याद दिलाता है। देश का हर बच्चा शिक्षित हो। यह दिन इसी सपने को साकार करने की प्रेरणा देता है। स्कूलों में आयोजित होने वाली प्रतियोगिताएं (जैसे भाषण, निबंध, चित्रकला, खेल) बच्चों में छिपी प्रतिभा को निखारने और उन्हें आत्मविश्वासी बनाने का मौका देती हैं। इस दिन बाल श्रम, कुपोषण, गरीबी और बाल शोषण जैसी गंभीर समस्याओं पर चर्चा करने और इन्हें दूर करने के उपाय सोचने का अवसर मिलता है।

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