देहरादून। लंबे समय हां हां और ना ना के बाद आखिरकार मयूख महर ने पिथौरागढ़ से चुनाव लड़ने से साफ इंकार कर दिया। मयूख कांग्रेस से नाराज या अपने आप से यह तो वहीं जाने लेकिन उनके यह कहने से कि वह किसी भी कीमत पर चुनाव नहीं लडेंगे जहाँ कांग्रेस के हौसलों को पस्त कर दिया है वहीं भाजपा की राह आसान कर दी है।
मयूख महर जो कांग्रेस के लिए इस चुनाव में किसी तुरप के इक्के से कम नहीं समझे जा रहे थे उनके इंकार के बाद कांग्रेस के सामने अब एक ऐसी चुनौती पैदा हो गयी है कि उसके लिए कोई ऐसा प्रत्याशी तलाशना भी मुश्किल हो रहा है जो भाजपा प्रत्याशी को चुनौती भी दे सके। यह अलग बात है कि कांग्रेस जो अब दूसरे विकल्पों पर विचार मंथन की बात कह रही है में कई दावेदार अपनी दावेदारी ठोक रहे है लेकिन वह जीत की दावेदारी करने के लायक भी नहीं है कांग्रेस को इस चुनाव से बड़ी उम्मीदें थी मयूख महर जो एक बार प्रकाश पंत जैसे नेता को हरा चुके थे तथा पिछले चुनाव में भी मामूली अंतर से हारे थे पर कांग्रेस को पूरा भरोसा था कि अगर वह चुनाव लड़ने पर राजी हो जाते है तो गेम 50-50 तो जरूर हो जायेगा लेकिन मयूख महर के इंकार से कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फिरता दिखाई दे रहा है।
यह चुनाव 2022 के लिहाज से भाजपा व कांग्रेस दोनो के लिए क्या महत्व रखता है यह सभी जानते है भले ही कांग्रेस के पास प्रदेश प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी, मुकेश पंत, कुंवर सिंह व प्रकाश जोशी जैसे कई दावेदार हो लेकिन उनमें से कोई भी चन्द्रा पंत के मुकाबले टिक पायेगा इसका अंदाजा कांग्रेेस को भी बखूबी है। यही कारण है कि अब विकल्प की तलाश मुश्किल हो रही है वहीं भाजपा मयूख महर के इंकार के बाद स्वंय को कम्फर्ट जोन में पा रही है यह कहना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर मयूख को मैदान में न उतार कर भाजपा को एक तरह से वाकओवर का मौका दे रही है।