कमल किशोर डुकलान ‘सरल’


पाक सीमा पर जिस तरह से पिछले कुछ दिनों से जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियां सक्रिय होते दिख रही हैं,वह बेहद चिंताजनक है। सीमा पर आतंकियों की बढ़ती सक्रियता का अर्थ है कि न तो सीमा पार से आतंकियों की घुसपैठ पर लगाम लग पा रही है और न ही उनके दुस्साहस पर किसी प्रकार से दमन हो पा रहा है। यह ठीक है कि बीते दिनों कुलगाम में दो मुठभेड़ों में छह आतंकी मारे गए,लेकिन हम इसकी अनदेखी नहीं कर सकते कि मुठभेड़ों में हमारे भी जवान शहीद हो रहे हैं।

आतंकियों को मार गिराने के क्रम में सुरक्षा बलों के क्षति उठाने का सिलसिला बंद होना चाहिए। यह सिलसिला पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित एक प्रकार से छद्म युद्ध का ही परिचायक है। जिस तरह से पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित छद्म युद्ध की कीमत भारत तो चुका ही रहा है और पाकिस्तान सीना ताने खड़ा है। अच्छा यह होगा कि आतंकवाद के खिलाफ एक तरह का अभियान चलाया जाए, जिससे हमारे सुरक्षा बलों की कोई क्षति न हो और पाक सीमा पर आंतकी गतिविधियों का भी अंत हो।

इसके साथ ही इस पर भी गंभीरता से विचार करना होगा कि पाकिस्तान को आतंकियों की घुसपैठ कराने और उनकी सहायता पहुंचाने वालों को कैसे रोका जाए। इस पर विचार इसलिए भी आवश्यक है,क्योंकि पहले सर्जिकल स्ट्राइक और फिर एयर स्ट्राइक के जरिये पाकिस्तान को भारत ने जो सबक सिखाया गया था,वह उसे भूल चुका है। पाकिस्तान को नए सिरे से सबक सिखाना इसलिए जरूरी है, क्योंकि पाकिस्तान की ओर से प्रायोजित आतंकवाद के चलते जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों के साथ-साथ सुरक्षा बल के जवान भी आये दिन निशाना बन रहे हैं।

इसका यह प्रमाण है,कि बीते दिनों आतंकियों ने पहले राजौरी में सेना के एक ठिकाने पर हमला किया और उसके बाद कठुआ में। इन दोनों घटनाओं में भी भारतीय सेना को क्षति उठानी पड़ी। इसके पहले भी जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी घटनाएं घट चुकी हैं, जिनमें नागरिकों के साथ सेना को भी क्षति उठानी पड़ी है। चिंता की बात यह है कि इधर आतंकी जम्मू और कश्मीर के दोनों क्षेत्रों में अपनी गतिविधियां बढ़ाते हुए दिख रहे हैं। आतंकी गतिविधियां एक ऐसे समय घटित हो रही हैं जब जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तैयारी की जा रही है और भारत सरकार लद्दाख वाले क्षेत्र को पुनः जम्बू कश्मीर के साथ मिलाने पर विचार कर रही है। ऐसे समय में आतंकियों को सिर उठाने का मौका बिल्कुल भी नहीं मिलना चाहिए।

इसमें सफलता तभी मिलेगी, जब एक ओर जहां जम्मू-कश्मीर में अलगाव और आतंक के खुले-छिपे समर्थकों के खिलाफ कड़ाई बरती जाएगी, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान को भी यह सीधा संदेश दिया जाएगा कि वह आतंकवाद को बढ़ावा देकर चैन से नहीं रह सकता। पाकिस्तान तब तक सीधे रास्ते पर नहीं आने वाला, जब तक उसे जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद फैलाने की कीमत नहीं चुकानी पड़ती।

– रुड़की, हरिद्वार (उत्तराखंड)