-डा० राजेंद्र कुकसाल
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नुकूल जलवायु, जीवांश युक्त उपजाऊ भूमि, उन्नतिशील किस्म का चुनाव, उचित समय पर बीज की बुआई तथा पौध रोपण, सही मात्रा में उर्वरकों एवं पोषण तत्त्वों का प्रयोग, खरपतवार नियंत्रण, आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई, सिंचाई तथा फसल की कीट व्याधियों से यथोचित सुरक्षा आदि अधिक फसल उत्पादन के घटक है। इन सबके अतिरिक्त समय पर पौधों को सहारा देना ( स्टेकिंग ) व उचित प्रूनिगं/ कटाई छंटाई कर उपज को कई गुना अधिक बढ़ाया जा सकत है।
टमाटर में फूल आने के समय , रोपण के 20 – 30 दिनों बाद पौधों में मिट्‌टी चढ़ाना एवं सहारा देना आवश्यक होता है। टमाटर की लम्बी बढ़ने वाली किस्मों को विशेष रूप से सहारा देने की आवश्यकता होती है। पौधों को सहारा देने से फल, मिट्‌टी एवं पानी के सम्पर्क मे नही आ पाते जिससे फल सड़ने की समस्या नही होती है।
प्रूनिंग करने की सही अवस्था।
स्टेकिंग या पौधों को सहारे के साथ ऊपर को उठाने से कई लाभ होते हैं।
1.पौधे जमीन पर कम जगह घेरते हैं , जिस कारण कम क्षेत्रफल में अधिक पौधों का रोपण किया जा सकता है।
2.पौधे ऊपर को सहारे के साथ खड़े होने से पौधों पर हवा का आवागमन बना रहता है साथ ही पूरे पौधे को सूर्य का प्रकाश मिलता है जिससे कीट व रोग का प्रकोप कम हो जाता है ,साथ ही भूमि से दूर होने के कारण मृदा जनित रोगों से बचाव होता है।
3. सहारा देकर पौधों को ऊपर की ओर बढ़ाकर, पौधौंकी प्रुनिंग, सिंचाई, दवाइयां का छिड़काव,फसल की तुड़ाई आसान हो जाती है।
4. अच्छे गुणवत्ता वाले बड़े फल प्राप्त होते हैं साथ ही उपज जल्दी प्राप्त होती है।
5. पौधों से लम्बे समय तक उपज प्राप्त होती रहती है।
6. स्टेकिंग करने से उपज अधिक प्राप्त होती है।
स्टेकिंग कैसे करें –
टमाटर में स्टेकिंग के लिए 6 फीट ऊंचे बांस के डंडों का चुनाव करें पौधों की कतार में दो दो मीटर के अन्तराल पर डंडों को एक फुट गहरा गाड़ें। डंडों के सहारे तार या मजबूत नाइलोन की रस्सी जमीन से 45 सेंटीमीटर की ऊंचाई पर बांधे उसके बाद एक एक फुट पर तीन समानांतर रस्सी और बांधे। लाइन पर गढ़े डंडों के दोनों किनारे के डंडों का ऊपर से रस्सी से खूंटी के सहारे तम्बू की तरह तान लें जिससे फल लदने पर ड़ंडो में लगी रस्सी झुकने न पाए।
जब पौधे 45 – 50 सेन्टिमीटर के हो जायें तो लाइन पर लगे प्रत्येक पौधे को जमीन से 15 – 20 सेन्टिमीटर पर तने की गांठ पर सुतली से हल्के से बांधे तथा इस रस्सी को पौधे पर लपेटते हुए ऊपर ले जाते हुए तारों/रस्सी में फंसाते हुए ऊपर के तार पर बांध दें।
10 – 15 दिनों बाद जैसे ही पौधा बढता है तथा झुकने लगे ऊपर तार पर बंधी रस्सी को खोल कर फिर पौधे को रस्सी से लपेट कर सीधा करलें यही प्रक्रिया हर 15 – 20 दिनों बाद दुहराते रहें जब तक पौधे ऊपर के तार तक न पहुंचे उसके बाद पौधे को तार से नीचे की ओर बढ़ने देते हैं।
प्रूनिंग /कटाई छंटाई –
बढ़वार के हिसाब से टमाटर में दो तरह के पौधे होते हैं। एक सीमित बढत Determinate जिनमें पौधों की बढत दो तीन फुट तक ही होती है तथा दूसरे असीमित Indeterminate इस प्रकार के पौधों में पूरे मौसम भर बढ़वार होती रहती है। अच्छे फलों व अधिक उपज हेतु पौधों से अवांछित शाखाओं (सकर्स) व पत्तियों को पौधे से हटाना आवश्यक होता है, जिससे पौधों को प्राप्त खुराक, पोषक तत्व टमाटर के फलों की बृद्धि में लग सके।
सीमित बृद्धि वाले पौधों में हल्की कटाई छंटाई करते हैं जबकि असीमित बृद्धि वाले पौधों में लगातार कटाई छंटाई करनी पड़ती है। पौधों की कटाई छंटाई सही समय पर सावधानी पूर्वक करें।
1. जब पौधे 30 – 40 सेंटीमीटर के हो जायं या जैसे ही पौधे की सबसे नीचे ज़मीन की सतह की पत्ती पीली पढने लगे या जैसे ही पौधे पर फूल दिखने लगे तभी टमाटर के पौधों में छंटाई शुरू करनी चाहिए।
2. पौधे के तने पर जैसे ही पहले फूलों का गुच्छा आ जाय, इसके नीचे की सभी पत्तियों व सकर्स ( मुख्य तने से निकली नई शाखाएं ) को धीरे धीरे नीचे से ऊपर की ओर जैसे जैसे पत्तियां पीली पढने लगे हटाते रहें यह प्रक्रिया सीमित व असीमित बृद्धि वाले दोनों प्रकार की टमाटर की पौध में करनी चाहिए इससे पौधे का मुख्य तना मजबूत होता है साथ ही इससे पौधों को मिलने वाले सभी पोषक तत्व फलों की बृद्धि में उपयोग होते हैं न कि अवांछित शाखाओं की बृद्धि में।
सकर्स (अवांछित शाखाएं) को कली अवस्था में ही अंगूठे व पहली उंगली की सहायता से जड़ से हटा देने चाहिए। सीमित वृद्धि वाले पौधों में बाद में प्रूनिंग की आवश्यकता नहीं होती। असीमित बृद्धि वाले पौधों में जैसे जैसे बढ़वार होती है सकर्स को हटाते रहें। सारे सकर्स खराब नहीं होते हैं, एक रणनीति के तहत ही सकर्स को हटाना चाहिए। जिन स्थानों में गर्मी अधिक पढ़ती हो वहां पर कुछ मोटे सकर्स छोड़ देते हैं जिससे पौधों को छाया मिलती रहे। छंटाई सप्ताह में एक या दो बार करें। मुख्य तने से फूल के प्रथम गुच्छे के ऊपर 4 – 5 शाखाओं पर ही अच्छे फल लगते हैं उनको छोड़ते हुए अतिरिक्त सभी शाखाओं को हटा लें।