“हर आदमी के शरीर की असली ताकत उसका इम्यूनिटी सिस्टम या रोग प्रतिरोधक क्षमता है, जो किसी भी वायरस से लड़ सकता है। आपका इम्यूनिटी सिस्टम जितना मजबूत होगा, बीमारी से लड़ने की ताकत उतनी ही अच्छी होगी, अभी तक शायद आपने किसी योगी साधु या योगधारी सन्यासी को कोरोना पीड़ित न सुना हो। कारण प्रकृति और प्राणायाम, योग ने उनका इम्युनिटी सिस्टम मजबूत बना दिया है, आपको शायद आश्चर्य हो हर मनुष्य के शरीर में या आसपास मिलाकर 10 ट्रिलियन वायरस हर समय मौजूद होते है, लेकिन हमारा एंटीबॉडी सिस्टम उनसे लड़ता है।”
इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करने के लिए आयुर्वेद में कई उपचार बताये गये हैं, जिनका सही प्रयोग करने से मनुष्य की इम्युनिटी सिस्टम मजबूत हो जाता है।
इम्युनिटी सिस्टम मजबूत करने के लिये- महासुदर्शन घन बटी, संस्मनी बटी (गिलोयघन बटी) 1-1 गोली सुबह शाम गर्म पानी से लें। आरोग्यवर्धनि बटी 2-2 गोली, संजीवनी बटी 1-1 गोली लंच व डिनर के बाद गर्म पानी से लें।
कोरोना जैसी घातक महामारी का अभी तक कोई निदान नहीं खोजा गया है, मात्र इम्युनिटी सिस्टम के आधार पर ही हमारा शरीर इस वायरस से बच सकता है। आयुर्वेद में कोरोना जैसे वायरस से लड़ने के लिए कई उपचार दिये गये हैं, जिनमें से कुछ उपचार के तरीके नीचे बता रहे हैं।
कोरोना का सम्भावित उपचार
1. कोरोना मरीज को सिर्फः अदरक का आधा इंच टुकड़ा, हल्दी चुटकी भर, तुलसी 11 पत्ते, काली मिर्च 7 दाने, दालचीनी पावडर आधा ग्राम,मुलैठी आधा ग्राम,गिलोय पावडर आधा ग्राम,,सभी का पेस्ट बना कर, ये पेस्ट 4 कप पानी में डाल कर उबालें जब पानी 1 कप रह जाए तब इसे छानकर काढा दिन में तीन टाईम रोगी को देवें ।
2. दिन में तीन टाईम एक गिलास दूध में आधा ग्राम शिलाजीत मिलाकर गर्म करक रोगी को देवें।
अर्थात तीन गिलास दुध और डेढ़ ग्राम पूरे दिन में। शिलाजीत अत्यंत कफनाशक ओर सभी खनिज ,मिनरल्स का प्राकृतिक स्रोत है। हां रोगी गर्म पानी पी सकता हैं, कफ नाशक चीजें इस कफजनित बीमारी को बहुत जल्द ठीक करेंगी।
3. एक छोटा चम्मच पीसी मुलेहठी लगभग 2 ग्राम को दूध या शहद के साथ दें। दिन में तीन बार। और हां दूध हमेशा गर्म ही होना चाहिए।
4. अभ्रक भस्म (शतपुटी) 1 से 3 रत्ती ,सितोपलादि चूर्ण 3 से 6 ग्राम, स्फ़टिक भस्म 2 रत्ती शहद में मिलाकर दें। उसके लेने के दो घंटे बाद मरीज को एक गिलास देशी गाय का दूध अदरक पकाकर व हल्दी आधी चम्मच मिलाकर दें। ऐसा दिन में तीन बार करें।
5. काला बांसा को जलाकर उसकी राख 1,1 ग्राम रुदन्ति सत्व 2,2 रत्ती शहद में मिलाकर दें। और दो घंटे बाद एक गिलास गाय का दूध गर्म करक दें।
दिन में तीन बार ऐसा करें। लगातार यही करें।
इसके अलावा कुछ अन्य पूरक उपचार
1. जहां मरीज हो उस कमरे का तापमान 40 डिग्री तक रखें। उसे लगातार पसीना आएगा और उसका कफ जलना शुरु हो जाएगा। ये कोरोना के विकास के लिए विषम परिस्थिति का निर्माण कर सकता है।
हां खान पान में ये ध्यान रखना है कि, कोई भी कफवर्धक चीज ना लें। जौ की रोटी खाएं । और देशी गाय का घी या तोरी या मूंग की दाल खाएं। वो भी कम मात्रा में। 2. गिलोय, तुलसी पत्र, अदरक, हल्दी, चिरायता, कुटकी 5-5 ग्राम 3 ली0 पानी में जब तक उबालें जब तक पानी डेढ़ ली0 रह जाए।
यही पानी गर्म करके 1-1 कप दिन में 4 से 5 बार शहद मिलाकर दें।
नोटः अपने किसी वरिष्ठ वैद्य या जानकार चिकित्सक से पूछकर ही प्रयोग में लेवें। हम किसी भी प्रकार का दावा नहीं करते हैं । 3. सभी प्रकार की श्वसन सम्बन्धी शिकायतों के लिये (दमा, खांसी, काली खांसी, सांस फूलना, जुकाम, टी0बी0 ) इन सभी रोगों में भी इस दवा आराम मिल सकता है।
कुमारकल्याणं रस 50 गोली, श्वाशचिन्तामनी रस 50 गोली (पीसकर मिलाएं ), सितोपलादि चूर्ण 120 ग्राम, टँकन भस्म 10 ग्राम, अभ्रक भस्म शतपुटी 10 ग्राम, स्फ़टिक भस्म 10 ग्राम, श्रंग भस्म 5 ग्राम सभी केवल बेधनाथ , उंझा, डाबर या धुतपापेशेवर की ही लें सभी को मिलाके 100 पुड़िया बना लें 1-1 सुबह दोपहर शाम व रात शहद से दें ,25 दिन की दवा हैं, यह मात्रा वयस्को के लिये है, उम्र व बल के अनुसार वैध या चिकित्सक की सलाह से प्रयोग करें । चावल, दही,खटाई, अचार, ठंडा पानी, आइसक्रीम, सॉस बन्द करें।
जिन लोगों को होम क्वारन्टीन किया गया है व जो लोग कोरोना संक्रमित के सम्पर्क में आये हैं यह प्रयोग उन पर जरूर आजमाए।
दरअसल किसी भी बीमारी का टीका या वैक्सीन बनने में कम से कम 6 महीने से डेढ़ साल लगता है। वैक्सीन या टीका बनने के बाद इसे कई चरणों से गुजरना पड़ता है।
पहले वैक्सीन का एनिमलस पर टेस्ट।
फिर 10 से 100 स्वस्थ इंसानों पर टेस्ट।
फिर 10 से 100 मध्यम अटैक रोगियों पर टेस्ट।
फिर 100 से 3000 भयंकर रोगियों पर टेस्ट।
फिर 6 महीने लगभग उन पर टीका या वैक्सीन का प्रभाव जांचना।
वैक्सीन आने में कितना समय लगेगा, टीका या वैक्सीन का इतिहास लगभग सवा दो सौ साल पुराना है।
वैक्सीन या टीका कैसे काम करता है
दरअसल जब हम किसी बीमारी का टीका लगवाते है तो उसमें मौजूद डैड वायरस, प्रोटीन व शुगर उस बीमारी के वायरस के खिलाफ ऐसे काम करते हैं जैसे ताले के साथ चाबी, हमारा शरीर उस टीके को ओर उसकी चाबी को मेमोरी कार्ड की तरह सेव रखता है, जब भी उस वायरस का शरीर पर अटैक होता है, शरीर में मौजूद वैक्सीन को मैमोरी कार्ड से सन्देश मिलता है उसे लोक करने का शरीर एंटी बॉडी भेजता हैं जो बीमारी को लोक करते हैं। इम्यून सिस्टम बीमारी की भगाने के काम पर लग जाता है।बस अब समझ गए होंगे कि, आपका घर में लोक रहना कितना जरूरी है।
जब तक वायरस की चेन न टूट जाये ज्यादार वायरस चेन टूटने से अपने आप गायब हो जाते हैं। हाँ यह आजतक कोई नहीं जान पाया। जब शत्रु अदृश्य हो तो घर मे रहने में ही भलाई है याद रखिये कोरोना जब तक आपके घर नहीं आएगा जब तक आप उसे लेने बाहर न जायें, आप अपने परिवार के लिये अनमोल हो, घर पर रहे सुरक्षित रहे।
कोई भी बुखार, खांसी, गले के दुखन, सांस लेने में परेशानी होने पर तुरन्त चिकित्सक से मिलें ।