लखनऊ। छत्रपति शिवाजी जी महाराज शौर्य और साहस की मूर्ति थे, दूरद्रष्टा थे, वे एक महान देशभक्त व कुशल प्रशासक थे। जहां एक तरफ वे महापराक्रमी थे वहीं दूसरी ओर वे अपनी दयालुता के लिए भी जाने जाते थे। युद्ध में उनकी रणनीति का कोई सानी नहीं था, वे अपनी छोटी सी सेना से मुगलों की भारी-भरकम सेना को परास्त कर देते थे। वे अपनी तलवार को मां भवानी बोलते थे। उक्त बातें गुरुवार को हिन्दू साम्राज्य दिवस के उपलक्ष्य में लखनऊ दक्षिण के केशव नगर द्वारा गुगल मीट पर आयोजित एक शाखा कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश ने स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए कही।
अयोध्या का श्रीराम मंदिर छत्रपति शिवाजी से मिली प्रेरणा का संकल्प
उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी का स्वप्न था हिन्दू साम्राज्य का स्थापना करना और आस्था के केन्द्रों को पुर्नस्थापित करना। वे समाज के हर वर्गो के बदौलत हिन्दवी साम्राज्य की स्थापना की। बताया कि अयोध्या का श्रीराम मंदिर पुनरूद्धार उन्हीं की जीवन से मिली प्रेरणा का संकल्प है, जो आज पूरा हो रहा है। परावर्तन की प्रेरणा शिवाजी की देन है। कहा कि आरएसएस के स्वयंसेवकों को शिवाजी से प्रेरणा मिलती है।
शठे शाठ्यम समाचरे की नीति पर युद्ध लड़े छत्रपति शिवाजी
उन्होंने कहा कि भारत अनेकों युद्ध धर्म, कुटनीति व नियमों के आधार पर लड़ा, लेकिन छत्रपति शिवाजी जी ने शठे शाठ्यम समाचरे की नीति पर युद्ध लड़ा। क्योंकि उस समय यवनों, मलेच्छों व मुगलों की बर्बरता से हिन्दू समाज को रौंदा जा रहा था। माताएं और बहनों पर आत्याचार, गौ वंश की हत्या, मंदिरों का अपवित्र व ध्वस्तीकरण आम बात थी।
बताया कि जब छत्रपति शिवाजी को सम्पूर्ण देश का भ्रमण कर लौटे लोगों ने बताया कि किसी नदी का जल पवित्र नहीं रहा, कोई मंदिर पवित्र नहीं रहे। नदियां गौ माताओं की हत्या से रक्तरंजित हैं, मंदिरों के प्रांगण गौ माता के मांस से पटे पड़े हैं।
माताओं को स्वप्न देखने का भी अधिकार नहीं था
उन्होंने बताया कि जब शिवाजी महाराज माता जीजाबाई के गर्भ में थे तो सहेलिओं ने पूछा कोई स्वप्न आता हो तो बताईए। इस पर जीजाबाई ने कहा कि मैं स्वप्न देखती हूं कि मैं सिंहवाहिनी हूं और असूरों का नाश कर रही हूं। मैं राष्ट्र सिंघासन पर बैठी हूं और शत्रुओं का नाश कर रही हूं। सहेलियों ने कहा कि यह बोलने की जरूरत नहीं है, अगर यह जानकारी यवनों, मलेच्छों व मुगलों को होगी तो जिंदा रहना मुश्किल होगा। अर्थात उस समय श्मेरा पुत्र राजा होगा, यह स्वप्न देखने का भी अधिकार नहीं था।श् ऐसे समय में माता जीजाबाई ने शिवाजी जैसे तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया। जो अपने देशभक्ति, शौर्य, साहस, रणनीति से मुगलों को परास्त किया और हिन्दू पादशाही की स्थापना की।
शिवाजी ने श्छापामार युद्ध नीतिश् से आक्रांताओं को जवाब दिया
उन्होंने बताया कि छत्रपति शिवाजी की श्छापामार नीतिश् से युद्ध में मिल रही सफलता से सम्पूर्ण देश एक बार खड़ा हो गया। जब उनके श्हिन्दवी साम्राज्यश् का स्वप्न साकार हुआ और राज्याभिषेक के बाद राज्याभिषेक हुआ तो कई राज के राजाओं ने अपने-अपने राज्य को मुगलों से खाली कराया। कहा कि शिवाजी के संघर्ष का परिणाम था कि असाम, उड़िसा, बंगाल, राजस्थान, बुन्देखण्ड, दक्षिण भारत के अनेकों राजाओं ने मुगलों के आत्याचार से राज को मुक्त कराया। बताया कि छत्रपति शिवाजी शत्रु के वार को ठीक प्रकार से समझकर प्रहार करते थे। वे अपनी इस नीति के कारण शिवाजी कभी परास्त नहीं हुए।
उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी ने श्हिन्दवी साम्राज्यश् की स्थापना स्वयं के लिए नहीं की। बताया जब एक बार उनकी परीक्षा लेने के लिए स्वयं समर्थ गुरु रामदास पहुंचते हैं और कहते हैं श्भिक्षाम् देहीश्, तुरन्त शिवाजी ने उन्हें पूरा राज-पाठ व सम्पति समर्पित करते हैं। इस पर समर्थ गुरु रामदास कहते हैं कि श्अब यह राज्य हमारा है, लेकिन इसका नेतृत्व आपको ही करना है। ऐसे थे छत्रपति शिवाजी। उन्होंने मां भारती की अस्मिता को बचाने के लिए अनेकों सेनापतियों को तैयार किया। उनमें से अनेकों लोगों ने प्राण न्यौछावर किया।
शिवाजी को भ्रष्ट आचरण स्वीकार्य नहीं था
उन्होंने बताया कि छत्रपति शिवाजी को किसी प्रकार का भ्रष्ट आचरण पसंद नहीं था। एक बार उन्होंने अपने लेखाधिपति श्कुलकर्णीश् को बुलाया तो कुछ गड़बड़ी मिली। इस पर उन्होंने तत्काल दण्डित करते हुए बर्खास्त किया। वे लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना की। कृषि लगान, तालाब, कुएं, मंदिरों का निर्माण समेत कई जन लोक कल्याणकारी योजनाओं को लागू किया।
भारत माता की जय-जयकार का समय आने वाला
उन्होंने बताया कि छत्रपति ने अपने हिन्दवी साम्राज्य में एक श्करश् की नीति को लागू किया था। कहा कि शिवाजी महाराज से प्रेरणा लेकर दुनिया के अन्दर भारत माता की जय-जयकार का समय आने वाला है। इस कार्यक्रम में संघ के करीब 100 से अधिक स्वयंसेवक उपस्थित रहे।