देहरादून। उत्तराखंड सरकार की ओर से प्रभावी पैरवी के बाद उत्तराखंड उच्च न्यायालय नैनीताल ने चारधाम यात्रा पर लगाई गई रोक को आखिरकार हटा दिया। चार धाम यात्रा शुरू करने के लिए कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ अनुमति दी है। गुरुवार को हुई सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा पर लगी रोक को हटा दिया है। 26 जून को नैनीताल हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने चारधाम की यात्रा पर रोक लगा दी थी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर चारधाम यात्रा को संचालित किए जाने को लेकर राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में अधिक समय लगने की वजह से राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी को वापस ले लिया था और 10 सितंबर को हाईकोर्ट में अनुरोध पत्र दाखिल किया था। जिस पर हाईकोर्ट ने 16 सितंबर को सुनवाई करने की बात कही थी। लिहाजा 16 सितंबर को हाईकोर्ट में चारधाम यात्रा को लेकर हुई सुनवाई पर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला लेते हुए लंबे समय से चार धाम यात्रा पर लगी रोक को हटा दिया है ऐसे में अब जल्द ही चारधाम की यात्रा शुरू हो सकती है।
अदालत ने कहा है कि एक दिन में केदारनाथ धाम में 800, बदरीनाथ धाम में 1000, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री धाम में 400 श्रद्धालुओं को ही जाने की अनुमति होगी। श्रद्धालु कुंड में स्नान नहीं कर सकेंगे। श्रद्धालुओं को आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट लानी होगी। जिनको कोविड टीके की दोनों डोज लग चुकी हैं, उनको वेक्सीनेशन सर्फिफिकेट साथ लाना होगा। चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में चारधाम यात्रा के दौरान पर्याप्त पुलिस फोर्स तैनात करनी होगी।
यात्रा पर लगी रोक हटाने के लिए राज्य सरकार की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर बृहस्पतिवार को मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में सुनवाई हुई। महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर और अन्य ने सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि कोविड अब काफी नियंत्रण में है और देश के सभी धार्मिक स्थल खुले हुए हैं। यात्रा न होने से स्थानीय लोगों की आजीविका पर भी प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार का हवाला देते हुए एसओपी के तहत चार धाम यात्रा की अनुमति देने की मांग की।
हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि चारों धामों में मेडिकल की पूर्ण सुविधा हो। मेडिकल स्टाफ, नर्सें, डॉक्टर, ऑक्सीजन बेड और वेंटिलेटर की पर्याप्त व्यवस्था हो। यात्रा के दौरान सरकार मेडिकल हेल्पलाइन जारी करे जिससे कि अस्वस्थ लोगों को स्वास्थ्य संबंधित सुविधाओं का आसानी से पता चल सके। अदालत ने श्रद्धालुओं की आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट और वेक्सीनेशन का सर्टिफिकेट की जांच के लिए चारों धामों में चेक पोस्ट बनाने को कहा है। बदरीनाथ में पांच, केदारनाथ में तीन चेक पोस्ट बनाने के निर्देश दिए। भविष्य में अगर कोविड के केस बढ़ते हैं तो सरकार यात्रा को स्थगित कर सकती है।
कोर्ट ने एंटी स्पीटिंग एक्ट को चारों धामों में प्रभावी रूप से लागू करने को कहा है, तीनों जिलों के विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिए हैं कि वे यात्रा की निगरानी करें और उसकी रिपोर्ट हर सप्ताह कोर्ट में दें। जिला अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे यात्रा को सफल बनाने के लिए स्थानीय लोगों और एनजीओ की सहायता ले सकते हैं लेकिन एनजीओ सही व जिम्मेदार होनी चाहिए। चारधाम यात्रा में जगह-जगह पर सुलभ शौचालय बनाए जाएं, जिससे श्रद्धालुओं को असुविधा न हो। चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में होने वाली चारधाम यात्रा के दौरान आवयश्यक्तानुसार पुलिस फोर्स लगाने को कहा है। भक्त किसी भी कुंड में स्नान नहीं कर सकेंगे।