चमोली। बाबा अमरनाथ की तर्ज पर देश-दुनियां के तीर्थ यात्री अब उत्तराखंड के सीमांत जनपद चमोली की नीती घाटी में स्थित टिम्मरसैंण महादेव की यात्रा कर सकेंगे। चमोली जिला प्रशासन ने बीआरओ, आईटीबीपी एवं स्थानीय लोगों के साथ बैठक करते हुए 7 अप्रैल से टिम्मरसैंण महादेव की यात्रा शुरू कराने का निर्णय लिया है। तीर्थ यात्री व पर्यटक को नीती घाटी में बाबा बर्फानी के दर्शनों के लिए सड़क से डेढ किलोमीटर चढाई चढनी होगी। इस यात्रा के दौरान तीर्थ यात्री पंचनाग देवता, हीरामणी माता मंदिर, पंचधारा आदि तीर्थ स्थलों के दर्शन के साथ ही नीती घाटी के नैसर्गिक सौन्दर्य का आनंद भी ले सकेंगे। टिम्मरसैंण महादेव की यात्रा व्यवस्थाओं के संदर्भ में जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया द्धारा निर्देश दिए गए हैं कि टिम्मरसैंण यात्रा मार्ग पर चिकित्सा सुविधा के साथ साथ भोजन, पानी, शौचालय आदि जरूरी व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर ली जाए। सुरक्षा के दृष्टिगत टिम्मरसैंण जाने वाले यात्रियों को सुबह जाकर उसी दिन सायं तक वापस लौटना होगा। जिलाधिकारी ने यात्रियों की सुविधा के दृष्टिगत मार्ग में एसडीआरएफ की तैनाती करने के भी निर्देश दिए।
विदित हो कि सीमांत जनपद चमोली के जोशीमठ ब्लाॅक की प्रसिद्व नीति घाटी के अंतिम गांव से एक किमी पहले टिम्मरसैंण में पहाड़ी पर स्थित गुफा के अंदर एक शिवलिंग विराजमान है। इस पर पहाडी से टपकने वाले जल से शिवलिंग का हमेशा अभिषेक होता रहता है। इसी शिवलिंग के पास बर्फ पिघलने के दौरान प्रतिवर्ष बर्फ शिवलिंग का आकार लेता है। स्थानीय लोग इसे बर्फानी बाबा या टिम्बरसैंण महादेव के नाम से जानते है। इसे छोटा अमरनाथ, उत्तराखंड की अमरनाथ गुफा और बर्फानी बाबा भी कहते है। जिस स्थान पर बर्फ का शिवलिंग दिखाई देता है, उसे स्थानीय लोग बबूक उडियार के नाम से जानते है। यहाॅ पर दिसंबर से अप्रैल के मध्य बर्फ के शिवलिंग के दर्शन होते है। आईटीबीपी के हिमवीर भी यहाॅ पर भोले के दर्शन करने के बाद ही आगे बढते है। टिम्मरसैंण महादेव के प्रति लोगो की अगाढ़ आस्था और प्राकृतिक सौन्दर्य के कारण यह क्षेत्र तीर्थाटन तथा ट्राइबल टूरिज्म के रूप में विकसित हो रहा है। सावन महीने में रोंग्पा घाटी में मौजूद टिम्मरसैंण महादेव के दर्शनों के लिए दूर दूर से भक्त यहाॅ पहुॅचते है।