कोरोना की दूसरी लहर में जिस तरह से अनेकों समस्याएं सामने आ रही हैं,उनमें से जो पहली कमी है वे कोविड वैक्सीन की कमी है।कोविड वैक्सीन की कमी के लिए तुरन्त समाधान के उपाय केन्द्र के साथ मिलकर राज्य सरकारों को युद्ध स्तर पर किए जाने चाहिए,प्रत्येक आयु वर्ग के लिए यह समस्या आने वाले समय में गंभीर होती चली जाएगी। भले ही कोविड की दूसरी लहर समाप्त हो जाए, परन्तु कोरोना पर स्थाई नियंत्रण के लिए यह जरूरी है कि देश की कम से कम 50-60 प्रतिशत जनसंख्या को बहुत ही कम समय में वैक्सीन लग जाए। राज्य सरकारों की ओर से भी आये दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोविड वैक्सीन की कमी को लेकर पत्र लिखकर इस समस्या के समाधान के लिए ध्यान आकर्षित किया जा रहा है। हर आयु वर्ग के लिए कोविड वैक्सीन की उपलब्धता के लिए राज्य सरकारों द्वारा केन्द्र सरकार को सुझाव दिया जा रहा है। कि वैक्सीन उत्पादन बढ़ाने के लिए ज्यादा से ज्यादा कम्पनियों को वरीयता देने की बात कहीं जा रही है। राज्य सरकारें यह भी कह रही हैं कि जो कम्पनी वैक्सीन उत्पादन कर रही है वे अभी तकरीबन छह-सात करोड़ खुराक ही हर महीने बना पा रही हैं और जिस गति से वर्तमान समय में कम्पनियों द्वारा वैक्सीन निर्माण हो रहा है उससे तो पूरे देश के टीकाकरण में बरसों लग जाएंगे।
एक प्रकार से राज्य सरकारों द्वारा कोविड की लड़ाई पर वैक्सीन पर चिंता जायज है, और हो सकता है कि आने वाले समय में राज्य सरकारें वैक्सीन को एक मुद्दा ही बना डालें। इसकी वजह यह है कि वैक्सीन की कमी का सबसे बड़ा खामियाजा राज्य सरकारों को भुगतना पड़ रहा है। केंद्र सरकार ने वैक्सीन के बंटवारे का जो फॉर्मूला तैयार किया है,उसके मुताबिक, राज्य सरकारों को कुल उत्पादन का पच्चीस प्रतिशत ही मिलेगा, जबकि 18 से 44 की उम्र के सभी लोगों को वैक्सीन लगाने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की ही है। फिर अलग-अलग राज्यों से मांग के मुताबिक वैक्सीन न दिए जाने की लगातार शिकायतें भी मिल रही हैं। आक्सीजन विवाद के बाद केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच वैक्सीन पर विवाद हो चुका है। बहरहाल,वैक्सीन की कमी की शिकायतें लगभग प्रत्येक राज्य से मिल रही हैं जिस कारण 18 से 44 आयुवर्ग के लोगों के लिए टीके लगवाना तकरीबन असंभव हो रहा है। यह स्थिति अभी बनी रहेगी,क्योंकि वैक्सीन की मांग बहुत है और आपूर्ति उसके मुकाबले बहुत ही कम है। केंद्र सरकार ने वैक्सीन निर्माताओं को पहले क्या सोचकर ऑर्डर दिए थे,यह नहीं मालूम,मगर उसके जो भी पूर्वानुमान थे, इस दूसरी लहर ने उसे तहस-नहस कर दिया है। अचानक संक्रमण के बढ़ने से लोग डर गए और टीका लगवाने दौड़ पड़े। बढ़ते दबाव में बिना तैयारी के केन्द्र सरकार ने 18 से 44 की उम्र के लोगों को भी टीका लगाने की घोषणा कर दी,नतीजतन,एक किस्म की अफरातफरी का माहौल बन गया है।
वर्तमान समय में हालात ऐसे हैं कि 45 से 60 आयु वर्ग के लोगों को भी टीका लगाने में दिक्कत आ रही है और अब तक देश की सिर्फ दो प्रतिशत जनसंख्या को वैक्सीन लग पाई हैं। वैक्सीन का उत्पादन कंपनियां बढ़ाती हैं। अगर वैक्सीन उत्पादन का जिम्मा ज्यादा कंपनियों को मिलता है और एकाध नई वैक्सीन भी आती है,तब भी वैक्सीन की कमी दूर होने में दो-तीन महीने तो लग ही जाएंगे। ऐसे में केन्द्र सरकार को बढ़ती वैक्सीन की कमी वाली स्थिति का सही आकलन करना चाहिए और स्थिति के मुताबिक जनता को सही स्थिति बताते हुए टीकाकरण की योजना बन सकती है। यदि ऐसा न हुआ,तो अनिश्चय,अराजकता और संदेह का माहौल स्थिति को और खराब करेगा। इससे बचने की जरूरत है।
@कमलकिशोर डुकलान, रुड़की, हरिद्वार