वैश्विक महाविनाशक बीमारी कोरोना से पूरा विश्व त्रस्त है। कोरोना की चैन को तोड़ने के लिए सरकारों द्वारा अथक प्रयास किया जा रहा है, कई राज्य लॉकडाउन लगने या लगाने की स्थिति में है तथा कई राज्यों ने कोरोना कर्फ्यू लागू कर दिया है। कोरोना कर्फ्यू और लॉकडाउन की स्थिति आम जनता के लिए एक चुनौतीपूर्ण समय है, जिससे उबरने के लिए बहुत लंबा समय लगने वाला है।

कोरोना संक्रमण बचाव के लिए अगर हालात एक बार फिर लॉकडाउन जैसे हो गए हैं, तो यह जितना दुखद है, उतना ही चिंताजनक भी। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण में हो रही भयावह बढ़ोतरी को देखते हुए दिल्ली सरकार ने राजधानी में छह दिनों के लॉकडाउन का एलान कर दिया है। महाराष्ट्र भी आज रात से लॉकडाउन का ऐलान कर चुका है। शेष राज्यों में रात्रि कर्फ्यू जैसे हालात बने हुए हैं दिल्ली समेत सात राज्यों में कोरोना संक्रमण की दर 30 फीसदी से ऊपर पहुंच गई है, जानमाल के बचाव में राज्य सरकारों के लिए लॉकडाउन का फैसला अपरिहार्य हो गया था। पिछले दो हफ्तों से देशभर के भीड़भाड़ वाले शहरों में आये दिन हजारों की संख्या में नए संक्रमितों का मिलना वाकई आम जन की चिंता को बढाता है।

देशभर के भारी आबादी वाले इलाकों में कोरोना की चैन तोड़ने के लिए लोगों की सामान्य चहल-पहल को रोकने के लिए राज्य सरकारों के पास लॉक डाउन ही अंतिम विकल्प है। कोरोना संक्रमण बचाव में घर से निकलने वाले सारे लोगों के लिए मास्क की प्रथम अनिवार्यता है जो लोग नहीं पहन रहे हैं। यहां तक कि सुरक्षा में लगे पुलिस कर्मियों को भी बचाव की परवाह नहीं है। सरकार के निर्देशों पर जहां पुलिस मास्क पहनने के लिए आम जन को बाध्य कर रही है उनका चालान काट रही है,वहां भी लोग पुलिस कर्मियों से बहाने बनाने और लड़ने पर उतारू हैं। ऐसे में सरकार के पास कड़ाई से कर्फ्यू लगाने के सिवाय कोई दूसरा रास्ता नहीं रह जाता है। जो कि राज्य सरकारें अपने-अपने राज्यों में देश-काल परिस्थिति के अनुसार कर भी रही हैं। शादी समारोह जैसे जरूरी सामाजिक आयोजन को मंजूरी दी गई है, तो यह भी हमने पिछले लॉकडाउन से सीखा है।

लॉक डाउन के कारण राज्यों के प्रवासी मजदूरों के पलायन को लेकर इस बार राज्य सरकारों को जरूर सचेत होना पड़ेगा और उन्हें आश्वस्त करना पड़ेगा। इस अवधि में राज्य सरकारों को प्रवासी मजदूरों की रोजी रोटी के पुख्ता इंतजाम करने होंगे। केवल सांत्वना देने से मजदूर नहीं रुकेंगे। समाज के इस निचले तबके को लॉकडाउन या कर्फ्यू जैसी स्थिति में सर्वाधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

यह हमारे राज्यों के शासन-प्रशासन की कमी ही कहीं जा सकती है कि उन्होंने ने पिछले कुछ समय पूर्व में कोरोना संक्रमण पर सामान्य स्थिति होने पर कोविड महामारी बचाव के लिए आम जन के लिए उचित स्वास्थ्य सुविधाएं सुलभ नहीं कराई। क्योंकि कोरोना संक्रमण पुनः लौटा है संक्रमण ने पिछले वर्ष की अपेक्षा गति पकड़ी है इसलिए बचाव के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में अभी भी ढंग से सोचना पड़ेगा। खाद्य व आवास के साथ चिकित्सा सुरक्षा की जरूरत यहां सर्वाधिक है।आम लोगों को आजकल जांच, दवा और इलाज के स्तर पर जैसी तकलीफ हो रही है, उससे सवाल उठता है कि क्या ऐसा समय आ गया है,जब भारत को बाहर से मदद की जरूरत है। सरकारों को अपनी क्षमता का आकलन करना चाहिए। अधिकांश राज्यों में जहां नाइट कर्फ्यू का सहारा लिया जा रहा है।
कोरोना संक्रमण बचाव में जहां सरकारें आम जन से लॉक डाउन का कड़ाई से पालन करवा रही हैं वहीं आम जन के साथ उदारता का परिचय भी देना होगा भीड़भाड़ को कम करने के लिए लगाया जा रहा कर्फ्यू का मतलब यह नहीं कि किसी कोरोना मरीज को इलाज में असुविधा हो या उस तक जरूरी सामान भी नहीं पहुंचाया जा सके। बढते संक्रमण के कारण बार-बार लग रहे लाक डाउन का यह मतलब नहीं कि अकेले रहने वाले लोगों, बुजुर्गों इत्यादि को परेशानियों का सामना करना पड़े। अत: राज्य सरकारों द्वारा कोरोना संक्रमण बचाव में लगाते जा रहे प्रतिबंधों के कारण आम जन के खान-पान, जरुरी सेवा और जरूरी सामान किसी भी तरह की आपूर्ति बाधित हो। 

@कमलकिशोर