राष्ट्रीय एकता और अखंडता के अग्रदूत लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल एकात्म आधुनिक भारत के वास्तविक वास्तुकार थे। केन्द्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में उनका जन्मदिवस आत्मनिर्भर भारत, समरस और श्रेष्ठ भारत का आह्वान सरदार पटेल द्वारा दिए गए एक भारत श्रेष्ठ भारत में बदलने की एक विराट प्रतिबद्धता प्रस्तुत करता है…
संगठन में शक्ति है, मिलजुलकर रहना विद्यालय के प्रारंभिक दिनों में शिक्षकों द्वारा छात्रों को सिखाया जाता है। शिक्षक स्कूल में विद्यार्थियों के मन में एक स्थायी छाप छोड़ते हैं। अगर कहा जाए तो एक प्रकार से शिक्षक राष्ट्र के पोषणकर्ता हैं। विश्वविख्यात तक्षशिला विश्वविद्यालय के महान शिक्षक आचार्य चाणक्य के अनुसार शिक्षक साधारण नहीं होते। वे निर्माण या विध्वंस का निर्णय लेते हैं। सब जानते हैं कि चाणक्य एक महान रणनीतिज्ञ थे। उनके जीवन का उद्देश्य उपमहाद्वीप को एक अखंड भारत के रूप में संगठित करना था। उन्होंने उपमहाद्वीप के विभिन्न राज्यों को जोड़ने का महत्व समझा और उपमहाद्वीप के पूरे भूगोल को एक राज्य व्यवस्था में बांधने का पवित्र संकल्प लिया। चाणक्य अपने महान ग्रंथ अर्थशास्त्र में वह इस बात उल्लेख करते हैं कि एकात्मकता के बिना हमेशा के लिए बने रहना संभव नहीं है। देखा जाए तो एकता समृद्धि की पहली शर्त है। मध्यकालीन युग में हमने देखा है कि किस प्रकार शासकों के बीच एकता के अभाव ने हम विदेशी शासकों के अधीन हो गये। 1947 में चाणक्य के विचार सरदार वल्लभभाई पटेल के रूप में वापस आए, जो एक अत्यंत यथार्थवादी और व्यावहारिक नेता थे। उन्होंने जमीनी हकीकत को समझा और रियासतों को आधुनिक राष्ट्र के रूप में जोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य अपने हाथ में लिया। वास्तव में लौहपुरुष सरदार बल्लभभाई पटेल एकात्म भारत के असली वास्तुकार थे।
2014 में केन्द्र में मोदी जी के नेतृत्व में राजग सत्ता में आने के बाद,सरदार पटेल के जन्मदिन को प्रतिवर्ष राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया, ताकि उनके एकात्म भारत के अविस्मरणीय योगदान का स्मरण करते हुए राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा को उचित सम्मान दिया जा सके। आज जब हम राष्ट्रीय एकता दिवस मना रहे हैं तो सरदार पटेल के जन्मदिन के अवसर पर उनके दृढ़संकल्प, समर्पण, राजनीति और अदम्य इच्छाशक्ति के साथ भारत को एक करने के प्रयासों के लिए श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए एकता के निर्माण के बारे में उनके व्यक्तिगत और व्यावहारिक प्रयासों पर विचार होना चाहिए।
युवा पटेल कानून का अध्ययन करने के लिए स्वयं इंग्लैंड स्वयं न जाकर अपने बड़े भाई विट्ठल भाई पटेल को कानून का अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड भेजना अपने परिवार की एकता और सम्मान को बनाए रखने के लिए किया। उनकी पारिवारिक एकता और सम्मान यह दर्शाता है कि सरदार पटेल के व्यक्तित्व में एकता और एकात्मता के मूल्य कितने गहरे तक जड़े हुए थे।
सरदार पटेल के एकात्म और सुसंगत प्रयासों के कारण अंग्रेजों को तत्कालीन कर व्यवस्था में संशोधन करना पड़ा और जब्त भूमि को उनके मालिकों को लौटाना पड़ा। यह हमें यही बताती है कि एकता न्याय के साथ चलती है। इसी क्रम में दस साल बाद सरदार पटेल ने एक बार फिर दिखाया कि एकता ही शक्ति है।
1928 के बारदोली सत्याग्रह में उन्होंने सभी किसानों,भूमि मालिकों और मजदूरों को यह बात स्पष्ट कर दी कि यदि वे अपने उद्देश्य के लिए एकजुट रहने का वायदा करें, तभी वह उनका नेतृत्व करेंगे। उन्होंने उनसे कहा कि उन्हें विदेशी शासन के साथ सहयोग न करने के गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ सकता है। इस दौर में भी इस करिश्माई, दृढ़ और व्यापक सोच वाले नेता को महिलाओं सहित सभी असंतुष्ट लोगों का मजबूत समर्थन और आश्वासन प्राप्त हुआ। इस सत्याग्रह की वजह से लोगों की जब्त संपत्ति वापस प्राप्त हो पाई। सरदार पटेल के नेतृत्व में सभी के सम्मिलित प्रयासों के चलते राजस्व वृद्धि के फैसले को भी वापस लेना पड़ा।बारदोली सत्याग्रह के दौरान ही वहां की स्त्रियों ने उन्हें सरदार की उपाधि से विभूषित किया। इस तथ्य से हम सब भलीभांति परिचित हैं कि आजादी के समय हमारा देश करीब साढ़े पांच सौ रियासतों में विभाजित था। आजादी के साथ ही ये रियासतें ब्रिटिश संप्रभुता से मुक्त हुईं। इन रियासतों में भारी अराजकता और भ्रम का माहौल था।
महान नेता चुनौतियों के दौरान ही महान चरित्र को दर्शाता है। उस समय हमें सरदार पटेल साहब का भी ऐसा ही महान चरित्र दिखाई दिया। उन्होंने विश्व इतिहास के सबसे उल्लेखनीय एकीकरण के कार्य को अंजाम दिया और भारत को नए सिरे से एकजुट किया। भारत की सभी बड़ी और छोटी रियासतों को एकजुट करने का महान काम किया। वास्तव में उन्होंने समझ लिया था कि यह एकात्मता ही पूर्णता का मार्ग है।
वर्तमान भारत सरकार सरदार पटेल की विरासत को गौरव के साथ उजागर कर रही है। केन्द्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में युवा,किसान, मजदूर, छात्रों के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। प्रधानमंत्री ने सभी भारतवासियों के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक एकीकरण का संकल्प लिया है। प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत,समरस और श्रेष्ठ भारत का आह्वान सरदार पटेल द्वारा दिए गए एक भारत श्रेष्ठ भारत में बदलने की एक विराट प्रतिबद्धता प्रस्तुत करता है।