देहरादून। उपनल कर्मचारी महासंघ ने शनिवार को वीडियों काॅलिंग के माध्यम से एक आवश्यक बैठक का आयोजन किया। बैठक में सभी पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया। आयोजित बैठक में वक्ताओं ने कहा कि जहां एक तरफ 21000 उपनल कर्मचारियों का भविष्य अंधकार में है, वही दूसरी और राज्य सरकार उत्तराखण्ड के बेरोजगार का भी भविष्य अंधकार में डाल रही है। उत्तराखण्ड के बेरोजगारों को रोजगार देना सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग करते हुए कहा कि पहले रोजगार उन उपनल कर्मचारियों को दिया जाए, जिनकों बिना किसी कारण से विभागों से बाहर किया गया है।
वक्ताआंे ने कहा कि मुख्यमंत्री ने 9 नवंबर 2019 को उपनल कर्मचारियों का वेतन बढाने की घोषणा की थी, जो कि आज तक पूरी नही की गई। कोविड 19 महामारी के बीच उपनल कर्मचारी अपने तन मन से दिन रात 24 घंटे राज्य की सेवाएं कर रहे है कई उपनल कर्मचारियों भी कोविड 19 महामारी का शिकर हो चूके है, लेकिन इसके बावजूद भी राज्य सरकार उपनल कर्मचारियों के लिए आंख मूंदकर बैठी हुई है और बहूत ही कम वेतन में कार्य करवा रही है जो कि बहुत ही निंदनीय है। उन्होंने कहा कि रोजगार के नाम पर उपनल कर्मचारियों के भविष्य के साथ खिलवाड होता है तो महासंघ आंदोलन के लिए बाध्य होगा। जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी सरकार की होगी। इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष दीपक चैहान, प्रदेश महामत्री हेमन्त सिं