देहरादून। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल लागू किया जाएगा। नवनिर्वाचित भारतीय जनता पार्टी सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में आज इस संबंध में निर्णय लिया गया।
संविधान में समान नागरिक संहिता को लागू करना अनुच्छेद 44 के तहत राज्य की जिम्मेदारी बताया गया है, लेकिन ये आज तक देश में लागू नहीं हो पाया।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि हमने चुनाव से पहले कहा था कि यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड लेकर आएंगे। कमेटी ड्राफ्ट तैयार करेगी और इस यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड को लागू करेंगे। कहा कि आर्टिकल 44 के तहत राज्य को इसकी शक्ति प्राप्त है । मंत्रिमंडल ने तय किया है कि जल्द ही इसे लागू करेंगे।
आज कैबिनेट बैठक के बाद मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस द्वारा बैठक में लिए गए निर्णयों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि राज्य में समान नागरिक संहिता के क्रियान्वयन के लिए विशेषज्ञों की समिति बनाई जाएगी। न्यायविदों, सेवानिवृत्त जजों, समाज के प्रबुद्ध जनों और अन्य स्टेकहोल्डर्स की एक कमेटी राज्य के लिए ‘यूनिफॉर्म सिविल कोड’ का ड्राफ्ट तैयार करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड का दायरा विवाह-तलाक, ज़मीन-जायदाद और उत्तराधिकार जैसे विषयों पर सभी धर्म के नागरिकों के लिये समान क़ानून होगा। ‘यूनिफॉर्म सिविल कोड’ संविधान निर्माताओं के सपनों को पूरा करने की दिशा में एक अहम कदम होगा।
मुख्यमंत्री श्री धामी ने कहा कि ये भारतीय संविधान के आर्टिकल-44 की दिशा में भी एक प्रभावी कदम होगा, जो देश के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता की संकल्पना प्रस्तुत करता है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी समय-समय पर इसे लागू करने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य में UCC लागू करने से राज्य के सभी नागरिकों के लिए समान अधिकारों को बल मिलेगा। सामाजिक समरसता बढ़ेगी, जेंडर जस्टिस को बढ़ावा मिलेगा, महिला सशक्तिकरण को ताकत मिलेगी एवं प्रदेश की असाधारण सांस्कृतिक आध्यात्मिक पहचान को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी।
क्या होता है समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड
समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ होता है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा। यूनियन सिविल कोड का अर्थ एक निष्पक्ष कानून है, जिसका किसी धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है।
समान नागरिक संहिता एक पंथनिरपेक्ष कानून होता है जो सभी धर्मों के लोगों के लिए समान रूप से लागू होता है। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से हर मजहब के लिए एक जैसा कानून आ जाएगा। यानी मुस्लिमों को भी तीन शादियां करने और पत्नी को महज तीन बार तलाक बोले देने से रिश्ता खत्म कर देने वाली परंपरा खत्म हो जाएगी। वर्तमान में देश हर धर्म के लोग इन मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ के अधीन करते हैं। फिलहाल मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदाय का पर्सनल लॉ है जबकि हिन्दू सिविल लॉ के तहत हिन्दू, सिख, जैन और बौद्ध आते हैं।
संविधान में समान नागरिक संहिता को लागू करना अनुच्छेद 44 के तहत राज्य की जिम्मेदारी बताया गया है, लेकिन ये आज तक देश में लागू नहीं हो पाया। इसे लेकर एक बड़ी बहस चलती रही है।