उत्तराखंड में आध्यात्मिक स्वास्थ्य विषय पर परिचर्चा
देहरादून। पुनर्नवा योग फाउण्डेशन के तत्वावधान में फाउण्डेशन के वैलनेस सेंटर में आध्यात्मिक स्वास्थ्य विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस परिचर्चा में वक्ताओं ने उत्तराखंड में आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने पर जोर दिया।
कार्यक्रम की भूमिका रखते हुए पुनर्नवा योग फाउण्डेशन के संस्थापक आचार्य आशीष सेमवाल ने कहा कि उत्तराखंड देव भूमि के नाम से विख्यात है और यहां आध्यात्मिक ज्ञान तथा आध्यात्मिक स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए विश्वभर से नाना प्रकार के लोग आते है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल तथा उसके बाद आध्यात्मिक स्वास्थ्य के महत्व पर विश्व भर में चर्चा हो रही है। उन्होंने कोरोना काल में आध्यात्मिक स्वास्थ्य के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि चाहे कितनी भी बड़ी बीमारी हो यदि आध्यात्मिक रूप से मनुष्य मजबूत हो जाता है, तो वह उस बीमारी से मुक्ति पाने में सक्षम हो जाता है।
आध्यात्मिक स्वास्थ्य पर प्रकाश डालते हुए उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि आध्यात्मिक स्वास्थ्य को समझने से पहले मनुष्य को अपना स्व को समझना जरूरी है। उन्होंने कहा कि वेद उपनिषदों में अध्यात्म स्वास्थ्य के विषय में विस्तृत उल्लेख किया गया है। उन्होंने आध्यात्मिक स्वास्थ्य के संदर्भ में उत्तराखंड में कार्य कर रही संस्थाओं की भी चर्चा की।
हिमालयन हॉस्पिटल के कैंसर विशेषज्ञ डॉक्टर विपुल नौटियाल ने कहा कि सभी प्रकार की बीमारियों से उबरने के लिए आध्यात्मिक स्वास्थ्य का बड़ा महत्व है। उन्होंने कहा कि कैंसर जैसी बीमारी से भी आदमी आध्यात्मिक स्वास्थ्य तथा उपचार के बाद स्वस्थ होकर सामान्य जीवन जीते हैं।
जैविक खेती के विशेषज्ञ संजय अग्रवाल ने कहा कि खानपान के साथ-साथ आध्यात्मिक स्वास्थ्य के साथ तन तथा मन को स्वस्थ रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि कोरोना का हाल में जैविक खेती में बढ़ावा हुआ है। भारत ने विश्व के देशों ने भी जैविक खेती की ओर अपना ध्यान दिया है। उन्होंने उत्तराखंड को जैविक प्रदेश बनाने की भी मांग की।
इस परिचर्चा में उत्तराखंड के डिजिटल रेडियो के संस्थापक आर.जे. काव्य ने भी अपनी बात रखी इस अवसर पर आलोक किशन, आदित्य ठाकुर, आशीष सक्सेना, सोवन सिंह पुंडीर, नरेश पुंडीर आदि ने विचार व्यक्त किए।