नैनीताल। नैनीताल उच्च न्यायायलय ने उत्तराखण्ड में कला विषय के सहायक अध्यापकों (एलटी) की नियुक्ति के लिए भी बीएड डिग्री को अनिवार्य योग्यता माना है। न्यायालय ने इन पदों के लिए बीएड की अनिवार्यता समाप्त करने के राज्य सरकार की नियमावली को रद्द कर दिया है। उच्च न्यायालय ने सरकार को शीघ्र नए सिरे से विज्ञप्ति जारी कर चयन प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए हैं। वर्तमान में कला विषय के करीब 246 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया चल रही है। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता पुष्पा देवी व अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उनके अधिवक्ता डॉ. कार्तिकेय हरि गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2020 में सहायक शिक्षक (एलटी) के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। इन पदों के लिए एनसीटीई के विनियमन-2014 के अनुसार बीएड डिग्री को अनिवार्य योग्यता माना गया लेकिन विज्ञप्ति जारी होने के बाद राज्य सरकार ने 20 फरवरी 2021 को नए नियम बनाकर कला विषय वालों के लिए बीएड की योग्यता को हटा दिया था।
इसे याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती देते हुए कहा कि राज्य सरकार के 2021 के नियम एनसीटीई के प्रावधानों के विपरीत हैं क्योंकि राज्य सरकार एनसीटीई के प्रावधानों के विपरीत नियम नहीं बना सकती है और न ही विज्ञप्ति जारी होने के बाद नियमों में बदलाव कर सकती है। न्यायालय ने इन तर्कों को स्वीकार करते हुए माना कि राज्य सरकार द्वारा बनाए गए 2021 के नियम एनसीटीई के प्रावधानों के विपरीत है। इस पर हाईकोर्ट ने सरकार की नियमावली को रद्द करते हुए कला विषय के सहायक अध्यापकों (एलटी) की भर्ती के लिए बीएड की योग्यता को अनिवार्य करते हुए सरकार को नए सिरे से यथाशीघ्र विज्ञप्ति जारी करने के निर्देश दिए हैं।