मुस्लिम देशों में भारत की छवि बिगाड़ने का षड्यंत्र बेनकाब हो रहा है .सच्चाई सामने आ रही है .भारत की वर्तमान सरकार सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास की भावना से कार्य कर रही है.भारती में अल्पसंख्यक वर्ग को सर्वाधिक अधिकार प्राप्त है .दुनिया का कोई भी देश इस विषय पर भारत की बराबरी नहीं कर सकता.लेकिन भारत कुछ तत्व ऐसे है जो भाजपा की संवैधानिक सरकार को बर्दास्त करने में असमर्थ है .ये लोग सरकार को बदनाम करने के लिए संवैधानिक तरीके अपनाते है .इनकी हरकते से अंततः भारत की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है .लेकिन कुछ दिनों में ही असलियत सामने आ जाती है .नरेंद्र मोदी के प्रधानमन्त्री बनने के फौरन बाद असहिष्णुता का आरोप लगाते हुए अभियान शुरू किया गया था .वामपंथ से प्रेरित लोगों ने अपने को सम्मान के लायक नहीं समझा था.वह सम्मान वापस कर रहे थे .नागरिकता संशोधन कानून और कृषि कानून पर फिर झूट का सहारा लेकर अभियान चलाया गया.इसको दुनिया में सुनियोजित तरीके से प्रसारित किया गया. ताजा प्रकरण में भी दुष्प्रचार किया गया. आल्ट न्यूज के शरारती फैक्ट चेकर ने नूपुर शर्मा के प्रसंग से कटे अधूरे बयान को विश्व भर में प्रचारित कर किया.लेकिन इनका दांव अब उल्टा पड़ने लगा है. अनेक मुस्लिम देश भारतीय प्रदर्शनकारियों को अपनी सीमा से खदेड़ रहे है.इसी दौरान ईरान के विदेश मंत्री भारत पहुँचे. ईरान ने उक्त प्रकरण पर दिया गया अपना बयान वापस ले लिया .य़ह साजिश करने वाले भारतीय नागरिकों के लिए तमाचा है. उनकी हरकत से दुनिया में अप्रिय चर्चा शुरू हो सकती है. इससे इस्लामी देशों में ही शरारती भारतीय तत्वों के प्रति नाराजगी बढ़ रही है .जाहिर है कि पूरी साजिश दुनिया के सामने आ रही है. नूपुर के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे भारतीय कामगारों से नाराज कुवैत सरकार ने इन प्रदर्शनकारी एसियाइयों को गिरफ्तार करके वापस उनके देशों में भेजने का निर्णय लिया है. ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन भारत पहुंचे. उन्होंने सच्चाई को करीब से देखा. नमाज़ के बाद हुए हिंसक प्रदर्शन को देखा. इस्लामी देशों में य़ह नजारा नहीं रहता है .भारत के मुसलमानों को पूरा अधिकार प्राप्त है.ईरान के विदेश मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की. मोदी ने भारत और ईरान के बीच लंबे समय से चली आ रही सभ्यता और सांस्कृतिक संबंधों को गर्मजोशी से याद किया। इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ईरान के विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर व्यापक चर्चा की। व्यापार, संपर्क, स्वास्थ्य और लोगों से लोगों के बीच संबंधों सहित हमारे द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा की गयी. दोनों नेताओं ने इस दौरान संयुक्त व्यापक कार्य योजना अफगानिस्तान और यूक्रेन सहित वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान प्रदान किया। साथ ही उनकी मौजूदगी में नागरिक और वाणिज्यिक मामलों में पारस्परिक कानूनी सहायता पर एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए। नरेंद्र मोदी ने भारत ईरान सम्बन्धों को शुरू से महत्व दिया.वह जानते है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधो का मसला बहुत पेचीदा होता है। कई बार परस्पर शत्रु देशों के साथ भी रिश्ते सुधारने की चुनौती रहती है। राष्ट्रीय हितों के लिए यह चुनौती भी स्वीकार करनी होती है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दिशा में मिसाल कायम की है। पिछले कार्यकाल में वह मध्यपूर्व यात्रा पर गए थे। इसके बाद ईरान के तत्कालीन राष्ट्रपति भारत की यात्रा पर आए। कुछ और पीछे लौटें तो नरेंद्र मोदी इस्राइल गए थे। उसके बाद इस्राइली प्रधानमंत्री भारत आये थे। दोनों देश एक दूसरे के साथ सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए थे। इतना ही नहीं इस्राइल ने चीन और पाकिस्तान के विरुद्ध भारत का साथ देने का वादा किया था। ईरान और इस्राइल एक दूसरे को फूटी आंख देखना नहीं चाहते। फिर भी नरेंद्र मोदी की कूटनीतिक कुशलता के चलते इस्राइल, फलस्तीन, ईरान और अन्य अरब देश भारत से बेहतर रिश्ते के हिमायती हुए है। नरेंद्र मोदी को फलस्तीन ने अपना सर्वोच्च सम्मान दिया था. गाजापट्टी की यात्रा के दौरान इस्राइल ने उनकी सुरक्षा में सहयोग दिया। जिस समय ईरानी राष्ट्रपति भारत मे थे, उस समय भी इस्राइल और ईरान के तनाव था। कई सुन्नी मुल्क ईरान से नाराज रहते है. लेकिन भारत के इन सबसे संबन्ध सुधर रहे है। ईरान और भारत के बीच पाकिस्तान का भी समीकरण भी है। भौगोलिक रूप से ईरान और पाकिस्तान की जमीन मिली हुई है। लेकिन चाबहार परियोजना में पाकिस्तान को शामिल नहीं किया गया था। क्योंकि पाकिस्तान के जुड़ने का से आतंकवादियों की आमद भी हो जाती। इससे इस परियोजना को बहुत नुकसान होता। तब इस पर कार्य पूरा करना भी मुश्किल हो जाता। भारत ईरान में आतंकवाद के खिलाफ साझा रणनीति बनाने और युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान में सामरिक हितों के अनुरूप कार्य करने पर भी सहमति बनी है . इसके अलावा दोहरे कराधान से बचाव, राजकोषीय चोरी पर रोकथाम, एक दशक पुरानी प्रत्यर्पण सन्धि की पुष्टि , राजनयिक पास्पोर्टधारकों को वीजा छूट आदि पर परस्पर सहयोग है. दोनों देश विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने को उत्सुक है। ईरान अपने विशाल तेल और गैस संसाधनों को भारत के साथ साझा भी करना चाहता है। चाबहार बन्दरगाह ईरान, अफगानिस्तान ही नहीं मध्य एशिया और योरोप तक भारत के साथ व्यापार में वृद्धि करने वाला है. ईरान की तरफ से जारी बयान में यह दावा किया गया है कि ईरान की तरफ पैगंबर मोहम्मद साहब को लेकर नकारात्मक माहौल बनाने का मुद्दा उठाने पर भारत की तरफ से आश्वासन मिला है कि भारत सरकार पैगंबर साहब का पूरा सम्मान करती है। जिन लोगों ने माहौल बिगाड़ने की कोशिश की है, उनके खिलाफ ऐसी कार्रवाई की जाएगी जो दूसरों के लिए सीख हो। ईरान ने यह भी बताया है कि विदेश मंत्री ने भारत की धार्मिक सद्भाव की परंपरा की तारीफ की है लेकिन यह भी कहा कि जो लोग इसके खिलाफ काम कर रहे हैं उन पर कार्रवाई की जा रही है.