डॉ. दिलीप अग्निहोत्री


सतावन मुस्लिम मुल्कों में से करीब पंद्रह ने एक प्रकरण पर भारत का विरोध किया है, लेकिन इस आधार पर ही भारतीय विदेश नीति को कमजोर समझ लेना भ्रम है। बिडम्बना य़ह कि इन मुल्कों में अफगानिस्तान के आतंकी शासक तालिबान भी शामिल है। तबाही के लंबे दौर में अफगानिस्तान में सर्वाधिक राहत कार्य और परियोजनाओं का संचालन भारत ने ही किया था। इसके चलते वहाँ लाखों लोगों का जीवन बचाना सम्भव हुआ था। आज आतंकी सत्ता भारत को सर्वधर्म समभाव की नसीहत दे रहा है। तालिबान सत्ता के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने भारत से आग्रह किया है कि वह ऐसे कट्टरपंथियों को इस्लाम के अपमान और मुस्लिमों को भड़काने की इजाजत न दे। मुजाहिद ने कहा कि इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान भारत में सत्तारूढ़ दल के एक पदाधिकारी द्वारा इस्लाम के पैगंबर के खिलाफ अपमानजनक शब्दों के इस्तेमाल का कड़ा विरोध करता है। इस धूर्ततापूर्ण बयानों पर कौन विश्वास करेगा। इसके अलावा इस्लामी नियमों से संचालित मुल्क भी विरोध में शामिल है। इनका नजरिया भी जगजाहिर है। वस्तुतः एक राजनीतिक पार्टी की प्रवक्ता के अनुचित कथन को भारत का बयान बता कर प्रचारित किया गया। इसमें भारत के ही कुछ लोगों की भूमिका रही है। जिन मुल्कों ने विरोध किया, उन्हें प्रजातांत्रिक व्यवस्था की समझ नही है। वहाँ सत्ता में शाही परिवार या अफगानिस्तान में आतंकी संगठन का क़ब्ज़ा है। य़ह सही है कि अनुचित बयान सत्तारूढ़ पार्टी की एक प्रवक्ता ने दिया था, लेकिन य़ह भारत का बयान नहीं था। भाजपा ने भी बयान को खारिज करने हुए उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था। पूर्व प्रवक्ता ने भी बयान वापस ले लिया, जिन्होंने भारत और वर्तमान सरकार से इस बयान को जोड़ कर दुनिया में प्रसारित किया, उन्हें जबाबदेही स्वीकार करनी चाहिए। ऐसे लोगों ने एक बार भी य़ह नहीं बताया कि हिंदुओं की आस्था पर तो अनगिनत बयान दिए गए। विगत आठ वर्षों में कल्याणकारी को बिना भेदभाव के लागू किया गया है। जिन मुल्कों ने विरोध किया, उन्होंने इसे सरकार के अधिकारी द्वारा दिया गया बयान बताया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस्लामिक देशों के संगठन की टिप्पणियों को गैर जरूरी और छोटी सोच का बताया है।

विदेश मंत्रालय प्रवक्ता ने कहा है कि भारत दुनिया के सभी देशों का सम्मान करता है, एक धार्मिक व्यक्तित्व के खिलाफ कुछ लोगों के ट्ववीट और टिप्पणियों को भारत सरकार का नजरिया नहीं माना जा सकता है। व्यक्तिगत टिप्पणियों को तूल नहीं दिया जाना चाहिए, लेकिन इस विवाद की आड़ में भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर दुष्प्रचार की कोशिशों में जुटे इस्लामिक देशों के संगठन ओआइसी और इसके प्रमुख सदस्य पाकिस्तान को भारत ने कड़ी फटकार लगाई है। जिन टिप्पणियों का जिक्र किया गया है वह व्यक्तिगत स्तर पर किया गया है और वह भारत सरकार का विचार नहीं है। इन व्यक्तियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जा रही है। यह दुर्भाग्य की बात है कि ओआइसी सचिवालय कुछ स्वार्थी तत्वों के जरिये विभेदकारी एजेंडे को बढ़ावा दे रहा है। मालदीव, लीबिया, इंडोनेशिया, ईरान, इराक, कुवैत, कतर, सऊदी अरब, ओमान ,यूएई, जॉर्डन, पाकिस्तान और बहरीन के बाद अब अफगानिस्तान भी विरोध की इस सूची में शामिल हो चुका है। उसका बयान खुद में बेमानी है भारत ने मुस्लिम देशों के समक्ष अपनी स्थिति साफ कर दी है। यह टिप्पणियां भारत सरकार के रूख का प्रतिनिधित्व नहीं करती। इन टिप्पणियों के संबंध में संबंधित संस्थानों ने टिप्पणियां करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। मुस्लिम देशों में स्थित भारतीय राजनयिकों ने वहां की सरकारों के साथ बातचीत में स्थिति साफ की है। ईरान के विदेश मंत्री और विदेश मंत्री एस जयशंकर के बीच वार्ता के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई। ईरान की ओर से पहले एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई थी। जिसमें कहा गया था कि ईरान के विदेश मंत्री ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ बैठक के दौरान यह मुद्दा उठाया था। बाद में ईरान ने इस विज्ञप्ति को वापिस ले लिया था।