4 Jul 2025, Fri

नए परिवहन कानून के विरोध में उत्तराखंड में बुधवार को रहेगा वाहनों का चक्का जाम

-दूध, ब्रेड व स्कूलों के वाहनों को दी गई है चक्का जाम से छूट
ऋषिकेश (हि.स.)। उत्तराखंड परिवहन महासंघ ने केंद्र सरकार के लागू किये गये मोटर यान परिवहन संबंधित नए कानून को उत्तराखंड में अव्यवहारिक बताते हुये राज्य के तमाम वाहन स्वामियों ने विरोध स्वरूप बुधवार को कोई भी वाहन सड़क पर नहीं उतारे जाने का ऐलान किया है।
यह चक्का जाम स्वैच्छिक एकदिवसीय रहेगा। यह ऐलान ऋषिकेश हरिद्वार मार्ग पर विक्रम टेंपो यूनियन के कार्यालय में आयोजित तमाम संगठनों के प्रतिनिधियों ने मंगलवार को पत्रकार वार्ता के दौरान किया। महासंघ के अध्यक्ष सुधीर राय व विक्रम महासंघ के अध्यक्ष महंत विनय सारस्वत ने कहा कि उन्होंने राज्य के प्रमुख सचिव को भी इस संबंध में बातचीत कर प्रदेश में होने वाली समस्याओं से अवगत करा दिया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य में नया कानून पूरी तरह अव्यवहारिक है। क्योंकि राज्य में आल वेदर रोड तथा ऋषिकेश कर्णप्रयाग रोड का काम चल रहा है जिसके कारण यहां की सड़कें भी इस लायक नहीं है कि वह आम लोगों को राहत दे सके।
उन्होंने कहा कि जाम के दौरान दूध ,ब्रेड ,स्कूलों के वाहनों को पूरी तरह छूट दी गई है। क्योंकि उनका चक्का जाम स्वैच्छिक है। यह जाम सांकेतिक है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो अगली बार पूरे उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर चक्का जाम किया जाएगा।
पत्रकार वार्ता में विक्रम टेंपो महासंघ के अध्यक्ष के अलावा गढ़वाल टेंपो यूनियन के उपाध्यक्ष वीरेंद्र सजवाण, परिवहन महासंघ के अध्यक्ष सुधीर राय, त्रिलोक सिंह भंडारी, लक्ष्मण झूला विक्रम यूनियन, राम झूले के अध्यक्ष फेरु जगवानी, हरिद्वार विक्रम यूनियन के अध्यक्ष आदेश पंडित ,भगवान सिंह राणा भी उपस्थित थे।
महासंघ ने परिवहन सचिव से मुलाकात कर हड़ताल का नोटिस दिया
देहरादून। मोटर वाहन अधिनियम में जुर्माना राशि कई गुना बढ़ाने के केंद्र सरकार के फैसले के विरोध में बुधवार को उत्तराखंड में समस्त निजी सार्वजनिक परिवहन सेवाएं पूरी तरह से ठप रहेंगी। उत्तराखंड परिवहन महासंघ के बैनर तले प्रस्तावित हड़ताल में सिटी बसें, निजी बसें, विक्रम, ऑटो, टैक्सी-मैक्सी, ट्रक व स्कूल वैन भी शामिल हैं। ऐसे में प्रदेशभर में स्कूली बच्चों व आम यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। महासंघ ने परिवहन सचिव से मुलाकात कर हड़ताल का नोटिस दे दिए है। मांग की गई है कि बुधवार को होने जा रही कैबिनेट बैठक में प्रदेश में जुर्माना राशि न बढ़ाने का फैसला लिया जाए। अगर ऐसा नहीं होता है तो परिवहन महासंघ बेमियादी हड़ताल पर भी जा सकता है।
नए मोटर वाहन अधिनियम में परिवहन व यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर कड़े नियम कर दिए गए हैं। जुर्माना राशि भी पूर्व की अपेक्षा काफी बढ़ गई है। उत्तराखंड में हालांकि अभी जुर्माना राशि को लेकर राज्य सरकार मंथन कर रही है, लेकिन इससे पूर्व ही ट्रांसपोर्टरों ने पुरानी व्यवस्था लागू रखने की मांग उठानी शुरू कर दी है। इस मामले पर दो दिन पहले ऋषिकेश में हुई ट्रांसपोर्टरों की बैठक में 16 सितंबर को एक दिवसीय हड़ताल का फैसला लिया गया था, लेकिन सोमवार को ट्रांसपोर्टरों ने हड़ताल का दिन बदलकर 11 सितंबर कर दिया। महासंघ के संरक्षक दिनेश बहुगुणा ने कहा कि केंद्र सरकार से ट्रांसपोर्टरों के हितों की अनदेखी होने से ट्रांसपोर्ट कारोबार आज ठप हो गया है। ऑटो सेक्टर मंदी से जूझ रहा। सरकार ऐसी नीतियां लागू कर रही, जिससे परिवहन व्यवसाय संकट में पहुंच गया है। परिवहन व्यवसायियों का उत्पीड़न किया जा रहा है। महासंघ ने चेतावनी दी कि यदि बुधवार को प्रस्तावित कैबिनेट बैठक में प्रदेश में जुर्माना राशि को लेकर कोई उचित निर्णय न लिया गया तो, ट्रांसपोर्टर बेमियादी हड़ताल पर भी जा सकते हैं। ट्रांसपोर्टरों ने कहा कि जुर्माना लागू करने के लिए एक वर्ष का वक्त लिया जाए और तब समीक्षा कर इसे लागू किया जाए। इस दौरान महासंघ अध्यक्ष सुधीर राय, कार्यकारी अध्यक्ष मनोज ध्यानी समेत उपाध्यक्ष महावीर बहुगुणा व विजय वर्धन डंडरियाल, महासचिव सत्यदेव उनियाल व आदेश सैनी, सदस्य भगवान सिंह राणा व संजय अरोड़ा मौजूद रहे।

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